लखनऊ :
राज्य सरकार के अधिकारियों की लापरवाही बीएड डिग्रीधारकों पर भारी पड़ी
है। उनका प्राइमरी स्कूलों में सीधे शिक्षक बनने का सपना पूरा नहीं हो
पाएगा।
शिक्षकों की भर्ती के लिए 1 जनवरी से समय सीमा बढ़ाकर 31 जनवरी करने संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने खारिज कर दिया है। इस संबंध में एनसीटीई के अंडर सेकटरी एसके चौहान ने साफ कहा है कि शिक्षकों की भर्ती के लिए राज्यों को पूरा समय दिया गया। इस अवधि के बाद समय सीमा बढ़ाने का सवाल ही नहीं उठता है।
शिक्षकों की भर्ती के लिए 1 जनवरी से समय सीमा बढ़ाकर 31 जनवरी करने संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने खारिज कर दिया है। इस संबंध में एनसीटीई के अंडर सेकटरी एसके चौहान ने साफ कहा है कि शिक्षकों की भर्ती के लिए राज्यों को पूरा समय दिया गया। इस अवधि के बाद समय सीमा बढ़ाने का सवाल ही नहीं उठता है।
शिक्षा
का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद एनसीटीई ने 31 अगस्त 2010 को अधिसूचना
जारी कर राज्यों को प्राइमरी स्कूलों में बीएड डिग्रीधारकों को सीधे
शिक्षक रखने की अनुमति दी थी। इसके लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी)
अनिवार्य की गई। एनसीटीई ने राज्यों को सीधी भर्ती के लिए 1 जनवरी 2012 तक
का समय दिया था। यूपी
में पहले टीईटी कराने को लेकर दुविधा रही। राज्य सरकार के कुछ वरिष्ठ
अधिकारी टीईटी कराने के पक्ष में नहीं थे। टीईटी से छूट के लिए एनसीटीई से
अनुमति भी मांगी गई। वहां से छूट न मिलने पर अधिकारी बड़ी मुश्किल से टीईटी
कराने को तैयार तो हुए, लेकिन इसमें पात्रता के स्थान पर अर्हता परीक्षा
कर दिया गया।