इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 
पंचायत राज विभाग बस्ती में 11  लिपिकों की बैकलॉग भर्ती में अनियमितता की 
शिकायत पर चयन को रद करने के सरकारी आदेश  को हाईकोर्ट द्वारा अवैध करार 
देने के बावजूद पंचायत राज अधिकारी के विरुद्ध  विभागीय कार्यवाही कर पेंशन
 कटौती व ग्रेच्युटी का भुगतान रोकने के आदेश को अवैध  करार दिया है और 
प्रमुख सचिव पंचायत राज अनुभाग - एक उ.प्र. के आदेशों को रद कर  दिया है।
न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह
 9 फीसदी ब्याज के साथ एक माह  के भीतर याची को सेवा निवृत्ति परिलाभों का 
भुगतान करें तथा एक माह में पेंशन  निर्धारण कर नियमित भुगतान करें। 
न्यायालय ने राज्य सरकार पर 10 हजार का हर्जाना भी  लगाया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति 
सुनील अम्बवानी तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खण्डपीठ ने  पंचायत राज 
अधिकारी पद से सेवानिवृत्त अधिकारी रामबाबू साहू की याचिका को स्वीकार  
करते हुए दिया है। उल्लेखनीय है कि विभाग में बैकलॉग भर्ती में अनियमितता व कदाचार  की शिकायत पर राज्य सरकार ने चयन रद कर दिया था। जिसे चयनित लोगों ने चुनौती दी।  हाईकोर्ट ने चयन रद करने के सरकार के फैसले को निरस्त करते हुए चयन को सही ठहराया।
  इस आदेश के खिलाफ अपील भी नहीं हुई। अनियमितता व कदाचार की उसी शिकायत के
 आधार पर  याची के विरुद्ध सिविल सर्विस रेग्यूलेशन के अनुच्छेद 351 (ए.) 
के तहत विभागीय जांच  की गयी। याची को अनियमितता का दोषी पाया गया और उसके 
पेंशन में कटौती करते हुए पूरी  ग्रेच्युटी को जब्त कर लिया गया। जिसे 
याचिका में चुनौती दी गयी थी। न्यायालय ने  हाईकोर्ट के निर्णय से चयन सही 
ठहराये जाने के बाद उन्हीं आरोपों पर की गयी  कार्यवाही को अवैध व मनमाना 
करार दिया है।






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