जोधपुर.राजस्थान
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि वह तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती
परीक्षा राज्य स्तर पर आरपीएससी के माध्यम से क्यों नहीं करवाना चाहती।
अदालत ने इस मामले में सरकार से 26 मार्च तक जवाब तलब किया है। हालांकि
भर्ती प्रक्रिया पर आगामी आदेशों तक किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है।
न्यायाधीश
गोविंद माथुर व न्यायाधीश कैलाशचन्द्र जोशी की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को
जालोर के प्रकाशचंद्र व अन्य की ओर से सरकार के जिला परिषदों के माध्यम से
परीक्षा आयोजित करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं
की ओर से अधिवक्ता सुकेश भाटी ने कहा कि पूर्व में वर्ष 2004 व वर्ष 2006
में शिक्षक भर्ती परीक्षाओं का आयोजन आरपीएससी के माध्यम से राज्य स्तर पर
किया गया। राज्य स्तर पर ही मेरिट लिस्ट तैयार होने के बाद शिक्षकों की
नियुक्ति जिलों में की जाती रही है। अब सरकार ने नीतिगत संशोधन करते हुए
प्रत्येक जिले में अलग-अलग परीक्षा करवाने का निर्णय किया है, यह संविधान
की भावना के विरुद्ध होने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला
है।
बीपीएड डिग्री धारकों को हाईकोर्ट से राहत
जोधपुर.
राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी है,
जिसमें बीपीएड डिग्री धारकों को पीटीआई ग्रेड द्वितीय व तृतीय भर्ती
परीक्षा-2008 के लिए अयोग्य माना गया था। यह आदेश न्यायाधीश गोविंद माथुर व
न्यायाधीश कैलाशचंद्र जोशी की खंडपीठ ने जोधपुर निवासी ओमप्रकाश, दिनेश
सांखला व 32 अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अलग-अलग दायर अपीलों की सुनवाई के
तहत दिए।
आरपीएससी
की ओर से पीटीआई ग्रेड तृतीय की भर्ती परीक्षा-2008 के तहत 29 अक्टूबर
2010 को लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी। बीपीएड डिग्रीधारी प्रार्थीगणों ने
परीक्षा दी थी व उसमें सफलता भी हासिल की, लेकिन बाद में उन्हें यह कहते
हुए अयोग्य घोषित कर दिया गया कि ग्रेड तृतीय की भर्ती के लिए सीपीएड
डिग्रीधारी अभ्यर्थी ही योग्य हैं। इस पर प्रार्थीगणों ने हाईकोर्ट की शरण
ली, लेकिन एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दी थी।
इसके
बाद प्रार्थीगणों ने खंडपीठ में अपील की। खंडपीठ में याचिकाकर्ताओं की ओर
से अधिवक्ता डॉ. पीएस भाटी व डॉ. नूपुर भाटी ने कहा कि सरकार के 6 जनवरी
2010 के आदेशों में बीपीएड डिग्री धारकों को तृतीय श्रेणी पीटीआई के लिए भी
योग्य माना गया है। इसलिए प्रार्थियों को भी इसका लाभ दिया जाए।
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