21 August 2012

Latest THIRD GRADE News : जयपुर : ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती : चुनावी चक्कर में अटकी हैं 40 हजार परिवारों की खुशियां

जयपुर.राज्य में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की करीब 40 हजार नियुक्तियां सवा साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के चक्कर में अटकती जा रही हैं। सरकार की ओर से भर्ती नियमों में छोड़ी गई चूक को इस तरह दुरुस्त करवाया जा रहा है कि चुनाव तक नियुक्तियां मिल जाएं। तयशुदा कार्यक्रम के तहत ये नियुक्तियां जुलाई तक हो जानी चाहिए थीं। इस देरी का खामियाजा स्कूलों में लाखों बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। परीक्षा प्रक्रिया से जुड़े अफसर-कर्मचारियों की मानें तो सरकार इन नियुक्तियों को कुछ और सरकाना चाहती है ताकि उसका असली फायदा उसे चुनाव में मिल सके। 


पंचायती राज विभाग की ओर से तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2 जून को हुई थी। इसका रिजल्ट एक माह में घोषित करने की योजना थी। विभाग ने लेवल वन के 10609 पदों का परिणाम 28 जून को घोषित कर दिया, लेकिन लेवल टू के 28935 पदों का परिणाम ढाई माह बाद भी घोषित नहीं हो सका है। इधर लेवल वन में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्तियां भी अब तक शुरू नहीं हो सकी है। 

इसके पीछे अफसरों की बड़ी दलील यह है कि प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है। परीक्षा से जुड़े कुछ अफसर यह भी मानते हैं कि यदि सरकार ठोस कार्ययोजना बनाती तो ये नियुक्तियां अब तक पूरी हो जाती, साथ ही दूसरे चरण में अगले 19 हजार पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकती थी। नियम-कायदों में विभिन्न स्तरों पर हुई चूक के चलते ही अभ्यर्थियों को कोर्ट में जाने का मौका मिला जिससे नियुक्तियां अटक गईं। 

सरकार का पक्ष 
'लेवल वन का रिजल्ट समय पर घोषित कर दिया, लेकिन कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन होने के कारण नियुक्तियों में विलंब हो रहा है। लेवल टू का भी परिणाम जल्द जारी कर देंगे।' -अपर्णा अरोड़ा, आयुक्त, पंचायती राज विभाग 

'इस मामले में पंचायती राज विभाग ही ज्यादा बता सकेगा। सरकार तो नियुक्तियां जल्द देने को तैयार है, लेकिन कोर्ट की अनुमति जरूरी है। यह भी सच है कि नियुक्ति को लेकर हमारी योजना भी प्रभावित हो रही है।' -बृजकिशोर शर्मा, शिक्षामंत्री 

भर्तियों को भुनाने की योजना 
'सरकार ने सुनियोजित तरीके से पूरी भर्ती प्रक्रिया में ऐसी चूक की गई कि कोर्ट के प्रकरण बनें। अब नियुक्तियों में देरी के लिए कोर्ट को दोष देने वाली सरकार इसके लिए खुद दोषी है। चुनाव नजदीक आ रहे हैं। सरकार चाहती है कि कुछ देरी और हो जिससे वे चुनाव में इन भर्तियों को भुना सके।' -वासुदेव देवनानी, पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री 

'यह सच है कि नियुक्तियों में देरी से स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कोर्ट में विभाग को मजबूती से अपना पक्ष रखना चाहिए।' -भंवरलाल मेघवाल, पूर्व शिक्षामंत्री 

'सरकार की मंशा में पारदर्शिता नहीं है। भाजपा युवाओं के रोष का खामियाजा भुगत चुकी है। यही हाल रहा तो कांग्रेस को भी भुगतना पड़ेगा। शिक्षा की बुरी स्थिति है। स्कूल खोल दिए हैं, टीचर है नहीं और अब नियुक्तियां अटक रही हैं।' -श्रवण कुमार, कांग्रेस विधायक सूरजगढ़ 

सरकार की चूक से उलझी शिक्षकों की भर्ती 
भर्ती प्रक्रिया में विभिन्न स्तरों पर सरकार द्वारा कमी छोड़े जाने का खामियाजा हजारों अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भर्ती को लेकर विभिन्न मुद्दों पर अभ्यर्थी और सरकार आमने-सामने है।

शिक्षक भर्ती के प्रथम लेवल में आरटेट पास बीएड धारकों को शामिल नहीं करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन रखने का निर्देश दिया है। 

सीनियर सैकंडरी में 45 फीसदी से कम अंक पास बीएसटीसी धारक जिनका चयन तृतीय श्रेणी में हुआ है, उन्हें नियुक्ति के योग्य नहीं मानने का विवाद। 

सामान्य वर्ग के पदों पर आरक्षित वर्ग के महिला व पुरुष अभ्यर्थियों को चयन करने का मामला। 

परीक्षा की आंसर-की अभ्यर्थियों को दिखाने का विवाद। 

एसबीसी को एक प्रतिशत आरक्षण देने का विवाद लंबित। 

हर मंच से भर्तियों का जमकर प्रचार 
राज्य में नई सरकार बनने के साथ ही तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द करने का जमकर प्रचार-प्रसार शुरू हो गया था। पूर्व शिक्षामंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल हर बार सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच से इन भर्तियों का जिक्र जरूर करते, पर वे अपने कार्यकाल में यह काम नहीं करा सके। 

जब बृजकिशोर शर्मा ने उनका पद संभाला तो उन्होंने भी जुलाई तक सभी पदों पर नियुक्तियों की घोषणा की। इन्हीं नियुक्तियों के चक्कर में प्रदेश के करीब 40 हजार पंचायती राज शिक्षकों को तबादलों से भी वंचित कर दिया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कई बार इन भर्तियों का जिक्र कर चुके हैं।

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