19 February 2012

Latest UPTET News : इलाहाबाद :किसके जिम्मे है 63 लाख परीक्षार्थियों का कॅरियर


मंत्री बर्खास्त, निदेशक गिरफ्तार, सचिव ‘गायब’
पेपर के बारे में किसी को जानकारी नहीं, 
किसके साथ समीक्षा बैठक करेंगे कार्यवाहक निदेशक 
इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल, इंटर परीक्षा में शामिल होने जा रहे 63 लाख परीक्षार्थियों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। ठीक एक महीने बाद 16 मार्च से परीक्षाएं होनी हैं लेकिन लगभग सारे काम ठप पड़े हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन जिस दिन गिरफ्तार हुए, उसी दिन से सचिव प्रभा त्रिपाठी भी ‘गायब’ हैं।
आठ फरवरी को सुबह बोर्ड दफ्तर कर्मचारियों को बताया था कि लखनऊ शिविर कार्यालय बुलाया गया है। उसके बाद से शुक्रवार शाम तक बोर्ड के अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों के संपर्क में नहीं हैं। उनके दोनो मोबाइल नंबर लगातार बंद चल रहे हैं। अफसर और कर्मचारी परीक्षा को लेकर पशोपेश में हैं। बोर्ड परीक्षा में ऐसे कई गोपनीय कार्य होते हैं, जिसकी जानकारी केवल सचिव को होती है।
सचिव के बारे में कोई सूचना न होने से सबसे अधिक परेशान है बोर्ड का गोपनीय विभाग और सिस्टम सेल। परीक्षा के लिए अब पेपर के बंडल विशेष कोड के साथ दूर के जिलों में भेजना जरूरी है लेकिन इसके लिए कोई निर्देश नहीं है। कर्मचारियों को प्रक्रिया पता है लेकिन कोडिंग प्रणाली हर साल बदलती है जिसके बारे में केवल सचिव को ही पता होता है। सचिव से संपर्क न होने से केंद्र विवाद, कक्ष निरीक्षकों, केंद्र व्यवस्थापकों की लिस्ट का विवाद बढ़ता जा रहा है।
टीईटी घोटाले में दो क्षेत्रीय अधिकारियों और कई संयुक्त शिक्षा निदेशकों का भी नाम आने से सचिव के नीचे के अधिकारी कोई भी काम अपने हाथ में लेने से डर रहे हैं। सचिव की अनुपस्थिति में उनका काम अपर सचिव देखते हैं लेकिन तब उन्हें पता होता है कि क्या काम पेंडिंग है, साथ ही उन्हें अधिकृत तौर पर जिम्मेदारी सौंपी जाती है। वर्तमान में मामला अलग है।
टीईटी अनियमितता में कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के बीच रिश्ते खराब होने से परेशानी और बढ़ गई है। एक दूसरे को फंसाने के फेर में अधिकारियों ने दूसरों के लिए संकट खड़ा कर दिया है।
इस तनाव और आपाधापी के माहौल में कार्यवाहक निदेशक सीपी तिवारी शनिवार को समीक्षा बैठक के लिए पहुंच रहे हैं। निदेशक, सचिव की अनुपस्थिति में वह किसके साथ परीक्षा तैयारियों की समीक्षा करेंगे, यह भी एक सवाल है। सीधे तौर पर बोर्ड की कार्य प्रणाली से वह नहीं जुड़े रहे और निचले स्तर के अधिकारी अपने मन से कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं, ऐसे में परीक्षार्थियों का कॅरियर किसके हाथ में है, कौन उनका जिम्मा लेगा, शासन को जल्द ही इसका जवाब तलाशना होगा।

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