लखनऊ : उत्तर प्रदेश की नई सरकार के लिए सपा के मंत्री और ब्यूरोक्रेट दोनों ही परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। बेरोजगार
युवाओं पर लाठीचार्ज को लेकर खुद युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी चिंतित
हैं। कैबिनेट की पहली बैठक में विभिन्न मुद़दों को लेकर जब चर्चा हो रही
थी तो ठीक उसी विधान सभा का घेराव करने जा रहे टीईटी कार्यकर्ताओं पर
लाठीचार्ज कर दिया गया। खास
बात यह रही कि आंदोलनकारियों को हाथों हाथ ले रही पुलिस अचानक उग्र हो गई
और उसने हजारों छात्र-छात्रों को जमकर पीटा।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस
लाठीचार्ज के लिए उच्च स्तर पर कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है
जबकि आने वाले दिनों में प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी को लाठीचार्ज
का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। उधर टीईटी संघर्ष मोर्चा ने लाठीचार्ज के बाद झूले लाल पार्क में मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया। जबकि सरकार ने युवाओं पर मरहम लगाते हुए 26 मार्च को वार्ता का समय दिया है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार युवाओं की सहानुभूति लेकर पौने तीन लाख आवेदकों को अपने स्तर से राहत की सौगात दे सकती है।टीईटी उत्तीर्ण युवाओं पर लाठीचार्ज के बाद सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है। यहां तक कि लाठीचार्ज किसके आदेश पर हुआ, इसकी भी पड़ताल आनन-फानन में शुरू कर दी गई है। प्रदेश भर के युवाओं को संदेश देने के लिए सरकार की ओर से झूलेपार्क पार्क में आनन-फानन में सुविधाओं का अम्बार लगा दिया गया और तो औैर भाषण और बयानबाजी पर भी छूट दे दी गई।
सूत्रों के अनुसार यह सब कुछ सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के पास रिपोर्ट पहुंचने का बाद किया गया है। शासन की ओर से कैबिनेट की पहली बैठक के मददेनजर झूले लाल पार्क में प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी। जबकि अधिकांश युवाओं ने सीधे विधानसभा की ओर कूच कर दिया। ऐसे में कैबिनेट और प्रदर्शन का समय समान होने के कारण शासन के वरिष्ठ अधिकारी ने आनन-फानन में लाठीचार्ज का आदेश दे दिया। हालांकि मुख्यमंत्री को यह रवैया सख्त नागवार गुजरा है। शाम को युवाओं ने मानव श्रृंखला बनाई तो सरकार की ओर से भी पक्ष रखकर युवाओं के प्रति सहानुभूति जताई गई। शासन के उच्च अधिकारी ने युवाओं को वार्ता के आमंत्रित कर राहत की सौगात भी दे डाली। फिलहाल युवाओं को सरकार के अगले कदम का इंतजार है।
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