इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा में मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर परिषद को पूरा परीक्षा परिणाम संशोधित करना पड़ा। ऐसे में पुराने परीक्षा परिणाम के आधार पर छाप दिए गए पौने तीन लाख प्राथमिक स्तर के टीईटी प्रमाण पत्रों को अब कूड़े के डब्बे में डालने के अलावा यूपी बोर्ड के पास और कोई चारा नहीं बचा है। इससे सरकार का कई लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 13 नवंबर को प्रदेश में पहली बार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित की गई थी। शिक्षक पात्रता परीक्षा का परिणाम 25 नवंबर को घोषित कर दिया गया। दो दिन बाद परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों की उत्तर माला भी जारी कर दी गई। पहले तो यूपी बोर्ड ने अभ्यर्थियों से आपत्तियां लेने से ही मना कर दिया। बाद में उत्तरमाला में ही एक ही प्रश्नों के अलग-अलग विकल्प देने से बोर्ड के ऊपर दबाव बढ़ा तो आपत्तियां निस्तारित करने की घोषणा की गई। परिषद ने अभ्यर्थियों से आपत्तियां लीं और कुछ का निस्तारण भी कर दिया। निस्तारित आपत्तियों के आधार पर परीक्षा परिणाम भी घोषित कर दिया गया। बावजूद इसके सभी आपत्तियां निस्तारित नहीं हो सकीं। अभ्यर्थियों से कहा जाने लगा कि अब कोई भी संशोधन नहीं होगा। निराश अभ्यर्थी इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण में चले गए। हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को माध्यमिक शिक्षा परिषद को सभी आपत्तियों का 100 रुपये शुल्क के साथ निस्तारण करने के आदेश दे दिया। इस आदेश के बाद परिषद ने कुछ और प्रश्नों पर विशेषज्ञों से जांच कराई और पूरा परीक्षा परिणाम एक बार फिर संशोधित कर दिया। इस संशोधन से अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्तर में एक से छह व उच्च प्राथमिक में एक से 10 अंकों का फायदा हुआ। उधर, परिषद ने 7 दिसंबर से सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों से टीईटी में सफल अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र देने की घोषणा कर दी थी। घोषणा के मुताबिक प्राथमिक स्तर के प्रमाण पत्रों की छपाई भी हो गई। परिणाम संशोधित हो जाने और सभी अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाने के कारण छप चुके लगभग पौने तीन लाख प्रमाण पत्र बेकार हो गए। सूत्रों के मुताबिकमाध्यमिक शिक्षा परिषद ने अब एक जनवरी के बाद ही टीईटी के प्रमाणपत्रों की छपाई कराने का निर्णय लिया है। अब प्रमाण पत्र 10 जनवरी के बाद ही जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को भेजे जाएंगे।
माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 13 नवंबर को प्रदेश में पहली बार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित की गई थी। शिक्षक पात्रता परीक्षा का परिणाम 25 नवंबर को घोषित कर दिया गया। दो दिन बाद परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों की उत्तर माला भी जारी कर दी गई। पहले तो यूपी बोर्ड ने अभ्यर्थियों से आपत्तियां लेने से ही मना कर दिया। बाद में उत्तरमाला में ही एक ही प्रश्नों के अलग-अलग विकल्प देने से बोर्ड के ऊपर दबाव बढ़ा तो आपत्तियां निस्तारित करने की घोषणा की गई। परिषद ने अभ्यर्थियों से आपत्तियां लीं और कुछ का निस्तारण भी कर दिया। निस्तारित आपत्तियों के आधार पर परीक्षा परिणाम भी घोषित कर दिया गया। बावजूद इसके सभी आपत्तियां निस्तारित नहीं हो सकीं। अभ्यर्थियों से कहा जाने लगा कि अब कोई भी संशोधन नहीं होगा। निराश अभ्यर्थी इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण में चले गए। हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को माध्यमिक शिक्षा परिषद को सभी आपत्तियों का 100 रुपये शुल्क के साथ निस्तारण करने के आदेश दे दिया। इस आदेश के बाद परिषद ने कुछ और प्रश्नों पर विशेषज्ञों से जांच कराई और पूरा परीक्षा परिणाम एक बार फिर संशोधित कर दिया। इस संशोधन से अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्तर में एक से छह व उच्च प्राथमिक में एक से 10 अंकों का फायदा हुआ। उधर, परिषद ने 7 दिसंबर से सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों से टीईटी में सफल अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र देने की घोषणा कर दी थी। घोषणा के मुताबिक प्राथमिक स्तर के प्रमाण पत्रों की छपाई भी हो गई। परिणाम संशोधित हो जाने और सभी अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाने के कारण छप चुके लगभग पौने तीन लाख प्रमाण पत्र बेकार हो गए। सूत्रों के मुताबिकमाध्यमिक शिक्षा परिषद ने अब एक जनवरी के बाद ही टीईटी के प्रमाणपत्रों की छपाई कराने का निर्णय लिया है। अब प्रमाण पत्र 10 जनवरी के बाद ही जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को भेजे जाएंगे।