सहारनपुर। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने वाले 60 हजार से अधिक आवेदक तो टीईटी की टेंशन से तो जूझ ही रहे हैं। साथ ही इन्हीं आवेदकों में सैकड़ों युवा ऐसे भी हैं, जो बीटीसी की बेबसी में फंसे हैं। बीटीसी 2011 के तहत डायट की सीटों के लिए तो बीटीसी की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के बाद किसी तरह काउंसिलिंग पूरी करा भी ली गई, लेकिन निजी कालेजों की सीटों पर बीटीसी के बारे में अब तक स्थिति स्पष्ट न होने से आवेदक परेशान हैं।
बीटीसी 2011 के लिए जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान पटनी को अलग-अलग वर्गों से कुल 12 हजार से अधिक आवेदन तो जरूर आए, लेकिन डायट स्तर की 200 सीटों पर ही काउंसिलिंग में आने वालों की हालत ऐसी रही कि इनमें से 187 चयनितों का प्रवेश हो पाया। इसकी 13 सीटें खाली रह गईं। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर आवेदक निजी कॉलेजों की सीटों से काउंसिलिंग कराने की कोशिश में थे, लेकिन इन कालेजों में सीटों के लिए नवीन मान्यता और फीस संबंधी तकनीकी दिक्कतों के कारण यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई।
निजी कालेजों से बीटीसी की उम्मीद लगाए कुछ आवेदकों मनीष कुमार, दीपक और अतुल का कहना है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा के फार्मूले ने तो पहले ही बीटीसी का क्रेज कम कर दिया है, क्योंकि बीटीसी अब एक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम रह गया है। इसके बावजूद जो कोर्स के रूप में इसे करना भी चाहते हैं, उनकी प्रक्रिया अधर में लटकी पड़ी है।
डायट की 200 सीटों के अलावा लगभग 150 सीटों के लिए बीटीसी आवेदकों की काउंसिलिंग की जानी है। इस हालात में डायट प्राचार्य संजय उपाध्याय का कहना था कि अभी तो टीईटी की टेंशन ही दूर नहीं हो पाई है। बीटीसी के मामले में अभी और इंतजार करना होगा।