इलाहाबाद। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में गड़बड़ियों का मामला लोकायुक्त तक पहुंच गया है। परिणाम में सात दफे संशोधन के बाद भी असंतुष्ट और निराश अभ्यर्थियों ने टीईटी संघर्ष मोर्चा बनाया है और इसी बैनर से लोकायुक्त से गंभीर शिकायतें की हैं। मोर्चा ने माध्यमिक शिक्षा विभाग केचार अधिकारियों पर टीईटी में अच्छे अंक के लिए भारी वसूली का आरोप लगाया है और दावा किया है कि लोकायुक्त के मांगने पर कुछ सुबूत भी देंगे। मोर्चा के अभ्यर्थियों ने इस मामले में अधिकारियों, उनके खास बाबुओं और परिजनों के खातों तथा संपत्तियों की जांच की मांग उठाई है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि अगले दस दिन लोकायुक्त की तरफ से पहल का इंतजार करेंगे। जांच न होने पर दस अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल कुछ सुबूतों के साथ उनसे मिलेगा। उसके बाद भी अधिकारियों के खिलाफ जांच न हुई तो अभ्यर्थी न्यायालय की शरण लेंगे। मोर्चा के सदस्यों का दावा है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों ने भारी रकम लेकर चुनिंदा अभ्यर्थियों के लिए बाहर से भरा ओएमआर जमा कराया।अभ्यर्थियों का कहना है कि पूरे मामले की ठीक से जांच हो तो पूरा परिणाम रद हो सकता है। टीईटी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष राजेश चौहान और सचिव केशव प्रसाद का कहना है कि इस बार टीईटी की मेरिट पर ही प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक की नौकरी मिलनी थी, इसीलिए सारी गड़बड़ियां की गईं। उन्होंने लोकायुक्त से मांग की है कि जांच के बाद यदि उनकी शिकायतें सही पाई जाएं तो नए सिरे से परिणाम जारी करने या फिर टीईटी मेरिट के आधार पर चयन न करने की संस्तुति करें। मोर्चा अध्यक्ष ने बताया कि शिकायती पत्र में अधिकारियों के नाम दिए गए हैं और किस तरह वसूली की, इसका भी ब्योरा दिया गया है। टीईटी में गड़बड़ियों का मामला पहले से कोर्ट में हैं। ऐसे में यदि लोकायुक्त ने जांच शुरू की तो मामला और उलझ सकता है।