अध्यापक पात्रता परीक्षा टीईटी की तरह नेताओं के सामने लीडर पात्रता परीक्षा (एलईटी) होनी चाहिए।
गोंडा : विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का दिन जैसे-जैसे करीब आ रहा है मतदाताओं के तेवर भी तल्ख होते जा रहे हैं। ऐसे में अबकी बार मतदाताओं ने भी नेताओं को परखने के लिए कमर कस ली है। प्रोफेशनल क्षेत्रों में तैयारियां कर रहे युवाओं ने कहा कि उन्हें रोजगार के लिए कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, तो फिर नेताओं की भी परीक्षा होनी चाहिए। नेताओं के लिए लीडर ऐजिबिलिटी टेस्ट (एलईटी) होना चाहिए, इसमें उत्तीर्ण नेताओं को ही चुनाव में उतरने का मौका मिलना चाहिए, तभी बेरोजगारों को रोजगार और समस्याओं का निराकरण होगा। युवाओं ने कहा कि हमें रोजगार चाहिए, बेरोजगारी भत्ता नहीं, हमें जमीन चाहिए, आकाश नहीं। जमीन मिल गयी तो हम खुद रास्ता तलाश लेंगे।लोकतंत्र के महापर्व को लेकर चुनावी चौपाल सज चुकी है। नेता मतदाताओं को मनाने में लगे हुए हैं, ऐसे में शुक्रवार को अमर उजाला ने माई सिटी माई वोटर कार्यक्रम के तहत हमारा एमएलए कैसा हो के सवाल का जवाब खोजने के लिए विभिन्न प्रोफेशन से जुड़े युवाओं को मंच दिया। अवसर पाते ही युवाओं के मन की पीड़ा एक-एक कर बाहर आने लगी। अधिकांश का दर्द था कि स्नातक के बाद उन्हें महानगरों की तरफ रुख करना पड़ता है। यहां न तो मेडिकल कालेज है, न ही इंजीनियरिंग कालेज। रोजगार के लिए जब आवेदन करते हैं, तो कठिन परीक्षा देनी पड़ती है। मेरिट के आधार पर चयन होता है। लेकिन जब नेता चुनाव मैदान में उतरते हैं, तो उनके लिए कोई मानक का निर्धारण क्यों नहीं किया जाता। ऐसे में जरूरी है कि अध्यापक पात्रता परीक्षा टीईटी की तरह नेताओं के सामने लीडर पात्रता परीक्षा (एलईटी) होनी चाहिए। इस व्यवस्था से गुजरने के बाद नेताओं को युवाओं की पीड़ा का अंदाजा होगा। तभी वह समस्याओं के निराकरण के प्रति गंभीर होंगे।
युवाओं ने साफ कहा कि बेरोजगारों को रोजगार दिलाया जाना चाहिए, न कि बेरोजगारी भत्ता। बिना किसी काम के बेरोजगारी भत्ता मिलने से युवाओं के भीतर हीन भावना पैदा हो जायेगी और वह कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हमें आगे बढ़ने के लिए जमीन मिलनी चाहिए, रास्ता स्वयं बना लेंगे। युवाओं का कहना था कि जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि युवाओं को बेहतर शिक्षा के लिए यहां पर मेडिकल व इंजीनियरिंग कालेज और उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा दें, जिससे समाज के सभी वर्गों का विकास होगा। युवाओं ने सड़कों की बदहाली, स्कूलों में शिक्षण की स्थिति, स्वास्थ्य सेवाओं में कमी, सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर जमकर प्रहार किया।