इलाहाबाद : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू से ही विवादों के घेरे में रही है। पहले माध्यमिक शिक्षा परिषद ने एक के बाद एक कई संशोधन किए। संशोधनों का सिलसिला परीक्षा परिणाम आने तक जारी रहा। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञप्ति में कई बार संशोधन किए गए।
प्रदेश में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा पहला विज्ञापन 30 नवंबर को जारी किया गया था। इसमें अभ्यर्थियों को अधिकतम पांच जनपदों में आवेदन करने की छूट दी गई थी। बेसिक शिक्षा परिषद ने एक दिसंबर को विज्ञप्ति में पहला संशोधन किया। संशोधन की सूचना दो दिसंबर को समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया। इसके तहत ऐसे अभ्यर्थियों को जिन्होंने विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी उत्तीर्ण किया हो उन्हें भी सहायक अध्यापक पद पर आवेदन करने की छूट दी गई। 30 नवंबर को जारी विज्ञप्ति में यह व्यवस्था नहीं थी। आवेदन करने के लिए केवल बीएड अभ्यर्थियों को ही अनुमति दी गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर को सरिता शुक्ला एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश के मामले की सुनवाई करते हुए 30 नवंबर को जारी विज्ञप्ति में पांच जनपदों में आवेदन के विकल्प को रद कर दिया। बेसिक शिक्षा विभाग ने 19 दिसंबर को संशोधित विज्ञप्ति जारी की। इसके मुताबिक अभ्यर्थियों को बेसिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर आवेदन करने के लिए मनचाहे जिलों का विकल्प दे दिया गया। यह भी व्यवस्था की गई कि जो अभ्यर्थी पांच जिलों में आवेदन कर चुके हैं उन्हें उन जनपदों में दोबारा आवेदन नहीं करना होगा। साथ ही कहा गया कि अब अभ्यर्थी को केवल एक ही जनपद में आवेदन शुल्क के रूप में पांच सौ रुपये की डीडी लगानी है। बाकी जनपदों में उसी मूल डीडी की छाया पति व उस जनपद के आवेदन पत्र व रजिस्ट्री-स्पीड पोस्ट की छाया प्रति संलग्न करके अन्य जिलों में आवेदन करना होगा। इस व्यवस्था से अभ्यर्थियों को तो राहत मिली पर बार-बार के संशोधन से पूरी चयन प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग गया।
शिक्षक पात्रता परीक्षा में सबसे बड़ा संशोधन 8 नवंबर को हुआ। विज्ञप्ति में पहले टीईटी को पात्रता परीक्षा घोषित किया गया था। इस संशोधन में टीईटी की मेरिट को चयन का आधार बना दिया गया। कैबिनेट ने बेसिक शिक्षा अध्यापक नियमावली 1981 के नियम 8, 14, 27 व 29 में संशोधन कर दिया। इससे हाईस्कूल, इंटर, स्नातक और परास्नातक परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को झटका लगा। इसका अभ्यर्थियों ने विरोध भी किया था।