राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण का फैसला
जोधपुर। राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण की जोधपुर चल पीठ ने प्रथमा को क्लर्क (लिपिक) पद के लिए योग्य माना है। वर्ष 1998 में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एलडीसी पद पर पदोन्नत कर्मचारी को 6 वर्ष बाद पदावनत किए जाने पर रोक लगाते हुए अपीलार्थी को पुन: पदोन्नत करते हुए सभी लाभ प्रदान करने के आदेश दिए हैं।
यह आदेश अधिकरण सदस्यों किरण सोनी गुप्ता व अतुल चटर्जी ने बीकानेर निवासी प्रार्थी बाबूलाल छंगाणी की अपील को स्वीकार करते हुए दिए।
अपीलार्थी छंगाणी की नियुक्ति इन्दिरा गांधी नहर परियोजना विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर हुई थी। अपीलार्थी ने वर्ष 1984 में हिंदी साहित्य सम्मेलन से प्रथमा की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। अपीलार्थी को 1 अगस्त 1998 को कनिष्ठ लिपिक पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गई। पदोन्नति को हाईकोर्ट की वृहद पीठ में विचाराधीन प्रेमकुमार एवं शंकरलाल नामक रिट याचिका के अधीन रखा गया था। वृहद पीठ का फैसला आने के बाद अपीलार्थी को 17 फरवरी 2004 को यह कहते हुए पदावनत कर दिया गया कि फैसला उसके खिलाफ था।
इस पर अपीलार्थी ने अधिवक्ता प्रेमेन्द्र कुमार बोहरा के माध्यम से अधिकरण में वाद दायर किया कि प्रार्थी ने वर्ष 1984 में प्रथमा परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी, जब कि वर्ष 1985 तक विभाग में इस की मान्यता जारी थी। जो फैसला आया है वह भी पश्चात वर्ती हो सकता है, भूतलक्षी नहीं।
No comments:
Post a Comment