जी आई सी के प्रिंसिपल के सामान रह गया प्रभा त्रिपाठी का पद
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद शासन ने २००४ की प्रमोशन पोलिसी निरस्त की
सचिव को पद से हटाने व् अनुशासनात्मक कार्यवाही का आदेश भी हो सकता है जारी
इलाहाबाद।
प्रदेश में हुए टीईटी घोटाले में गिरफ्तारी के भय से गायब यूपी बोर्ड
सचिव को एक और तगड़ा झटका लगा है। शासन ने 2004 में जारी उस प्रमोशन
पालिसी को ही रद कर दिया है, जिसके माध्यम से प्रभा त्रिपाठी समेत माध्यमिक
और बेसिक शिक्षा विभाग के 74 अधिकारियों को उनके सीनियर्स के ऊपर प्रमोट
कर दिया गया था। कुछ अधिकारियों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर
की थी, जिसमें प्रभा त्रिपाठी भी पक्षकार थीं।
हाईकोर्ट
ने प्रमोशन पालिसी रद्द करने का आदेश दिया तो प्रभावित अधिकारी सुप्रीम
कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी उस प्रमोशन पालिसी को असंवैधानिक और
नियमों के खिलाफ बताया। साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि तत्काल उस
प्रमोशन पालिसी को रद किया जाए और जो लोग उसका गलत लाभ पा चुके हैं,
उन्हें उस समय के मूल पदों पर भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विशेष
सचिव एफएन प्रधान ने बुधवार को संबंधित विभागों को आदेश जारी किया कि उस
प्रमोशन पालिसी का लाभ पाने वालों को मूल पदों की जिम्मेदारी दी जाए।
शासन
के इस निर्देश के बाद प्रभा त्रिपाठी केवल डीडीआर रह जाएंगी यानी उनका पद
जीआईसी के प्रिंसीपल के समान हो जाएगा। अब यदि शासन उन पर कोई कार्रवाई न
करे, टीईटी गड़बड़ी में भी वह बरी हो जाएं तो भी सचिव पद पर नहीं रह
सकेंगी। गलत प्रमोशन पालिसी से सबसे ज्यादा लाभ प्रभा त्रिपाठी को ही मिला।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि सचिव को पद
से हटाने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश बृहस्पतिवार को
जारी हो सकता है। उनके साथ माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग के जो अन्य 73
अधिकारी प्रभावित होंगे, उनमें से कई निदेशालय और शोध तथा पाठ्यक्रम से
जुड़े संस्थानों में बड़े पदों पर हैं। विशेष सचिव प्रधान के आदेश से पूरे
विभाग में खलबली मची है।
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