22 February 2012

Latest UPMSSCB News : इलाहाबाद : साक्ष्य जुटाने यूपी बोर्ड आई पुलिस

बोर्ड के कई कर्मचारियों से भी हुई पूछताछ
साक्षरता निदेशालय में रखी गई ओएमआर शीट


इलाहाबाद। टीईटी मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद रमाबाई नगर की पुलिस शनिवार को यूपी बोर्ड कार्यालय पहुंच गई। बोर्ड के दो कर्मचारियों से टीईटी के संदर्भ में पूछताछ की गई और परीक्षा से संबंधित रजिस्टर खंगाले गए। पुलिस के पहुंचने के बाद से बोर्ड कार्यालय में हड़कंप मचा रहा। जिस वक्त कर्मचारियों से पूछताछ हो रही थी, माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीपी तिवारी अफसरों के साथ बोर्ड परीक्षा तैयारी को लेकर बैठक कर रहे थे।

पुलिस को पता चला है कि टीईटी की बी शीट को साक्षरता कार्यालय में रखा गया था। जबकि इसे यूपी बोर्ड में जमा कराया जाना था। संजय मोहन के पास ही साक्षरता का भी काम था। इसी कार्यालय के एक अफसर के पकड़े जाने के बाद मामला खुला। कई और महत्वपूर्ण दस्तावेज भी पुलिस के हाथ लगे हैं। एजेंसी को अचानक बदले जाने का कारण भी पुलिस पता लगा रही है। परीक्षा के दौरान संजय मोहन बोर्ड के जिन अफसरों के संपर्क में रहे, उनके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद से ही यूपी बोर्ड की सचिव प्रभा त्रिपाठी भी ‘गायब’ हैं। पुलिस उनसे भी पूछताछ करना चाहती थी। कर्मचारियों से पूछताछ में पुलिस को खास सफलता नहीं मिली। शासन को पत्र लिखकर परीक्षा से संबंधित सारे दस्तावेज मांगे गए हैं। सूत्रों का कहना है कि एक अपर सचिव स्तर के अधिकारी से भी पुलिस ने पूछताछ की।



पंचम तल का अब वह खौफ नहीं

चुनावी महासमर के दौर में जब सत्तारुढ़ दल भारी दबाव में दिख रहा हो, तो आईएएस-आईपीएस अफसरों ने भी हिम्मत दिखानी श्ुारू कर दी है। अब वे खुद बड़े फैसले लेने लगे हैं। इसके लिए अब वे अब ‘पंचम तल’ की मर्जी की भी परवाह नहीं करते दिखते हैं। कुछ समय पहले तक ऐसा सोच पाना भी मुमिकन नहीं था। तब शासन में कोई पत्ता पंचम तल की मर्जी के बिना खड़कता नहीं था।

हाल ही में प्रदेश के नए डीजीपी के इशारे पर जिस तरह टीईटी परीक्षा में हुए घपले पर कार्रवाई की गई उससे नौकरशाही में खासी हलचल है।

कई अफसर अचरज में हैं आखिर इतनी बड़ी कार्रवाई हो कैसे गई। सत्ता प्रतिष्ठान के खासे नजदीक माने जाने वाले तत्कालीन निदेशक संजय मोहन पर गाज गिरना-इस बात का संकेत है कि अब बदलाव की बयार का अहसास कम से कम ब्यूरोक्रेसी को तो कुछ कुछ होने ही लगा है। संजय मोहन को पुलिस रिमांड पर लिए जाने के बाद अब इस मामले की आंच कुछ बड़े नौकरशाहों तक भी पहुंच सकती है। लोग यह कयास लगा रहे हैं कि इस मामले में इस तरह का कदम उठाना साहसिक कदम माना जा रहा है।

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