इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा
परिषद द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में जो कुछ भी हुआ वह
जांच का विषय है पर इस घटना ने माध्यमिक शिक्षा परिषद की शाख पर बट्टा जरूर
लगा दिया है। माध्यमिक
शिक्षा के निदेशक संजय मोहन के गिरफ्तार होने के बाद शिक्षकों को गहरा
सदमा लगा है। शिक्षक सकते हैं। शिक्षकों ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण
बताया है और पूरी प्रकरण की किसी सक्षम एजेंसी से जांच कराए जाने की मांग
की है।
माध्यमिक शिक्षक संघ के शिक्षक विधायक सुरेश त्रिपाठी इस घटना से काफी आहत हैं। उनका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद अपने बच्चों की परीक्षा तो नकल विहीन करा नहीं पाता और चले शिक्षक भर्ती परीक्षा कराने। विभाग के निदेशक का भ्रष्टाचार में संलिप्त और गिरफ्तार होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
निदेशक का गिरफ्तार होना और टीईटी के परीक्षा परिणामों में बार-बार किए गए संशोधनों से पूरी परीक्षा पर सवाल खड़े हुए हैं। यह 12 लाख बेरोजगारों और 72 हजार नौकरियों का मामला है। इसकी किसी सक्षम एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए। यह काम केवल निदेशक ही नहीं कुछ और अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ लगता है। लिहाजा इसके पीछे छिपे चेहरे को बेनकाब कर पूरे सिस्टम की सफाई अपरिहार्य हो गई है। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) के जिलाध्यक्ष लालमणि द्विवेदी का कहना है कि इस परीक्षा में शुरू से ही दाल में कुछ काला लग रहा था। लिहाजा यह घोटाला सामने आया। यह घटना माध्यमिक शिक्षा के माथे पर बदनुमा दाग है। इसने माध्यमिक शिक्षा की साख को गहरी चोट की है।
शिक्षक शैलेष पांडेय का कहते हैं कि माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभापति का टीईटी में धांधली में गिरफ्तार होना वाकई दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। यदि टीईटी में केवल कुछ लोगों के अंक बढ़ाए गए और बाकी अभ्यर्थियों के प्राप्तांक उनकी मेहनत से मिले हैं तो केवल उन्हीं अभ्यर्थियों के खिलाफ काईवाई होनी चाहिए जिन्होंने पैसा देकर अंक बढ़वाए। पूरी परीक्षा को निरस्त करना ठीक नहीं होगा।
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