08 February 2012

Latest UPTET News : लखनऊ : अब छले जाने का लेंगे हिसाब बीएड बेरोजगार और शिक्षा मित्र हुए लामबंद

लखनऊ : बीएड बेरोजगार हो या शिक्षा मित्र अपने साथ अन्याय होने का हिसाब मांग रहे हैं। कहते हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से 80 हजार शिक्षकों की भर्ती की मंजूरी के बाद उसे भरा नहीं गया। भर्ती के लिए शासनादेश जारी करने से लेकर विज्ञापन निकालने तक में देरी की गई। इसके चलते आचार संहिता में उनकी भर्ती लटक गई। भर्ती तो लटकी ही साथ में एनसीटीई से मिली समय सीमा भी समाप्त हो गई। शिक्षा मित्र भी नाखुश हैं।
उनके प्रशिक्षण का आदेश तो हुआ पर जब आवेदन लिया गया, तो रेग्यूलर स्नातक करने वालों को इससे अलग कर दिया गया। प्राइवेट स्नातक करने वाले ही प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इन्हें शिक्षक बनाया जाएगा या नहीं इसका भी फैसला नहीं हुआ। 
बेसिक शिक्षा निदेशालय ने 80 हजार शिक्षकों की सीधी भर्ती का प्रस्ताव वर्ष 2010 में शासन को भेजा था। प्रस्ताव में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया कि एनसीटीई गाइड लाइन के अनुसार शिक्षकों की भर्ती 1 जनवरी 2012 से पहले अनिवार्य रूप से की जानी है। प्रस्ताव पर शासन स्तर पर मंथनों का दौर चलता रहा, लेकिन शिक्षकों की भर्ती पर सहमति नहीं बन सकी। पहले चरण में विचार किया गया कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) न कराकर सीधे शिक्षकों की भर्ती करा ली जाए। पर एनसीटीई ने इस पर सहमति नहीं दी। राज्य सरकार ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को टीईटी कराने की जिम्मेदारी दी। परीक्षा की तैयारियां चल ही रही थीं कि पात्रता परीक्षा के स्थान पर इसे अर्हता परीक्षा कर दिया गया। परीक्षा परिणाम आया तो शिक्षकों की भर्ती शुरू करने के लिए आवेदन मांगे गए, लेकिन इस बीच प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू कर दी गई, इसके चलते शिक्षकों की भर्ती लटक गई। बीएड बेरोजगार संघर्ष समिति के अनिल कहते हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है। 
सरकार से इसका हिसाब लिया जाएगा। शिक्षा मित्रों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। स्नातक पास 1.24 लाख शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण देने की बात कही गई थी। इसके लिए एनसीटीई से अनुमति प्राप्त करने के बाद प्रशिक्षण का आदेश जारी किया गया कि दो चरणों में शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। पहले चरण में 62 हजार शिक्षा मित्र प्रशिक्षण पाएंगे। इसके लिए जिला स्तर पर आवेदन तो लिये गए, लेकिन रेग्यूलर स्नातक करने वाले शिक्षा मित्रों को इससे अलग कर दिया गया बसपा को देना होगा हिसाब
एनसीटीई ने भर्ती के लिए 1 जनवरी 2012 तक का समय दिया था। सरकार के ढुलमुल रवैये के चलते भर्ती नहीं हो सकी। इससे सरकार की सोची समझी चाल उजागर होती है। वास्तव में प्रदेश सरकार की मंशा प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती पूरी करने की नहीं थी। सरकार यदि चाहती तो 23 अगस्त 2010 के बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाती और छह माह के अंदर इसे पूरी कर ली जाती। बीएड बेरोजगारों के साथ धोखा किया गया है। इसका हिसाब लिया जाएगा।

प्रशिक्षण देने में भी भेदभाव -
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा 8 तक के स्कूलों में कोई अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं रहेगा। इसके आधार पर 1.24 लाख स्नातक पास शिक्षा मित्रों को बीटीसी की तर्ज पर दो साल का प्रशिक्षण देने का निर्णय किया गया। प्रशिक्षण का आदेश तो हुआ, लेकिन इसमें भेदभाव किया गया। रेग्यूलर स्नातक करने वालों को प्रशिक्षण से वंचित कर दिया गया। यही नहीं समझौते के आधार पर शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाकर 10 हजार नहीं किया गया। सरकार को इसका जवाब देना होगा

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