कानपुर : शिक्षा संवाददाता: अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परिणाम में तो घपले
हुए ही हैं, शिक्षकों व कर्मचारियों को मिलने वाले पारिश्रमिक को लेकर भी
गोलमाल हुआ। कई केंद्रों को केंद्र व्यय नहीं मिला तो कई शिक्षकों को कम
पारिश्रमिक पर संतोष करना पड़ा।
13 नवंबर को हुई टीईटी के लिए पहले घोषित किया गया था कि एक कक्ष में दो शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जायेगी। बाद में नियम बना दिया कि 35 से कम अभ्यर्थियों वाले कक्षों में एक शिक्षक के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जायेगा। नतीजतन पूरे प्रदेश में आधे से अधिक केंद्रों के कुल पारिश्रमिक में 4,500 से 8,000 रुपये तक की कटौती कर भुगतान किया गया। केंद्र व्यवस्थापक हर कक्ष में दो शिक्षकों की ड्यूटी लगा चुके थे जिसके चलते उन्हें सभी शिक्षकों को पारिश्रमिक देना पड़ा। यह व्यवस्था पारिश्रमिक में 50 से 80 रुपया तक कटौती कर हो सकी।
पहले शासन ने कहा था कि शिक्षकों को प्रति पाली 500 रुपये पारिश्रमिक मिलेगा। बाद में इसे प्रतिदिन कर दिया गया। कई केंद्रों पर एक तो कई में दो पालियों में परीक्षा हुई। तमाम शिक्षक एक पाली कर 500 रुपया पारिश्रमिक पा गये तो कई को दो पालियों में ड्यूटी करने पर 500 रुपया मिला। कई कालेजों को जेनरेटर, फर्नीचर आदि का खर्च भी शिक्षकों के पारिश्रमिक से निकालना पड़ा।
उधर सवाल उठाया जा रहा है कि दूसरे प्रदेशों में कम शुल्क में परीक्षा हुई तो यहां प्रति छात्र 500 रुपया शुल्क क्यों लिया गया? प्रधानाचार्य कहते हैं कि अधिकारियों ने क्वालीफाई छात्रों को प्रमाणपत्र डाक से अथवा नेट से देने को कहा था परंतु अब राजकीय इंटर कालेजों के माध्यम से अभ्यर्थियों की लाइन लगवा कर प्रमाणपत्र बांटे जा रहा है। यहां राजकीय इंटर कालेज में 53,000 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र वितरित होने हैं। दूर दराज से आकर अभ्यर्थी लाइन में लगते हैं। उनको समय, श्रम व धन अलग से खर्च करना पड़ रहा है। विभाग ने डाक खर्च भी बचा लिया।
धरने में उठा था मुद्दा
'नियम स्पष्ट न होने से कई केंद्रों के कक्ष निरीक्षकों को पूरा पारिश्रमिक नहीं मिल पाया। कुछ केंद्रों को पूरा केंद्र व्यय भी नहीं मिला। 500 रुपया प्रति पाली पारिश्रमिक की बात थी परंतु दो पालियों व एक पाली में कक्ष निरीक्षण करने वालों को बराबर बराबर पारिश्रमिक मिला।'
- डॉ. वेदानंद त्रिपाठी, प्रदेश अध्यक्ष प्रधानाचार्य परिषद
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