लखनऊ : प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए आयोजित शिक्षक
पात्रता परीक्षा (टीईटी) में हुई धांधली का डंक अभी और कई अफसरों पर लगेगा।
इस मामले में तीन विभागीय अधिकारी निशाने पर हैं। माध्यमिक शिक्षा
विभाग के जिन अधिकारियों पर नजर है, वह पिछले कई दिनों से आफिस नहीं आ रहे
हैं। पुलिस इनकी हरकतों पर पल-पल नजर रखे हुए है। बताया जाता है कि इनकी
गिरफ्तारी के बाद टीईटी में धांधली के कुछ महत्वपूर्ण राज खुल सकते हैं।
दो अधिकारियों के इशारे पर बने केंद्र
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी अनिवार्य की गई। शासन से माध्यमिक शिक्षा परिषद को जिम्मेदारी मिलने के बाद इसकी तैयारियों के लिए विभागीय अधिकारियों की एक टीम लगाई गई। जिसकी देखरेख में टीईटी की तैयारियों के साथ केंद्र का निर्धारण किया गया। सूत्रों के अनुसार शासन स्तर के दो अधिकारियों के इशारे पर पश्चिमी यूपी के कुछ केंद्र सेट कराए गए। इन केंद्रों पर करीब 800 परीक्षार्थियों को परीक्षा में विशेष सुविधा दिलाए जाने की बात अब तक प्रकाश में आई है।
आंसर सीट से की छेड़छाड़
विभाग का दावा है कि विवादित प्रश्नों के दोनों विकल्पों को सही मानकर रिजल्ट संशोधित किया गया, तो प्राथमिक स्तर पर 5 लाख 49 हजार 724 अभ्यर्थियों के एक से लेकर छह अंक बढ़े। इसमें सबसे अधिक 6 अंक 153 अभ्यर्थियों के बढ़े। इसी तरह उच्च प्राथमिक स्तर के 4 लाख 81 हजार 533 अभ्यर्थियों के एक से आठ अंक बढ़े। इसमें सर्वाधिक 8 अंक दो अभ्यर्थियों के मात्र बढ़े। वहीं सूत्रों का कहना है कि यह आंकड़े केवल दिखाने के लिए जारी किए गए। हकीकत में हजारों अभ्यर्थियों के अंक कई गुना तक बढ़ाए गए। इसके लिए ऑसर शीट से छेड़छाड़ तक किया गया है। अंक बढ़ाने के मामले में तीन विभागीय अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पुलिस इन तीनों अधिकारियों पर नजर रखे हुए है।
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