टीईटी और विज्ञापन को निरस्त करने की तैयारी में बेसिक शिक्षा विभाग ǃ
टीईटी में अच्छा अंक पाने वाले लाखों छात्रों के साथ होगा धोखा ǃ
फसेगा कानूनी पेच ǃ
नियमावली में संशोधन कर एकेडमिक होगा अन्तिम चयन का आधार
टीईटी के महत्व को कम करने की कोशिश ǃ
टीईटी में अच्छा अंक पाने वाले लाखों छात्रों के साथ होगा धोखा ǃ
फसेगा कानूनी पेच ǃ
नियमावली में संशोधन कर एकेडमिक होगा अन्तिम चयन का आधार
टीईटी के महत्व को कम करने की कोशिश ǃ
आखिकार उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को
निरस्त करने के लिए तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही अध्यापक भर्ती
नियमावली के नियम को भी नई प्रक्रिया के लिए बदला जायेगा। वर्तमान में
टीईटी के मेरिट से प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का प्रावधान है जिसे मायावती
सरकार ने संशोधित किया था। तब एनसीटीई के आरटीई एक्ट के मुताबिक शिक्षक
पात्रता परीक्षा अनिवार्य हो गया जिससे मायावती सरकार ने ही चयन का आधार
बना दिया था और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन याचिका खारिज कर दी गई
वहीं चयन का आधार टीईटी मेरिट को सही कहा गया। वहीं 72 हजार प्राईमरी टीचर
का विज्ञापन निकाला गया लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया जिसकी
सुनवाई चल रही है। जिसमें हर जिले के डायट की जगह संयुक्त रूप से नियुक्ति
के लिए निकाली गई इस विज्ञापन को चुनौती दी गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग टीईटी में हुई धांधली को सुधारने और जांच करने के बजाए खुद को बचाने के लिए टीईटी और विज्ञापन दोनों को निरस्त करने का फैसला ले सकती है। साफ है कि विभाग खुद को बचाने और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने के लिए लाखों लोगों की मेंहनत और पैसे की परवाह नहीं है। बस जैसे तैसे टीईटी के मेरिट से चयन प्रक्रिया से बचने के लिए अध्यापक नियुक्ति नियमावली में शैक्षिक रिकार्ड देखकर भर्ती करने के संशोधन पर विचार कर रही है। जिससे बेसिक शिक्षा विभाग सारी परेशानियों से बच सके।
टीईटी मेरिट से चयन का आधार क्यों बदला जा रहा है
लेकिन पिछली सरकार के टीईटी मेरिट के फैसले को बदलना और विज्ञापन को निरस्त कर नये सिरे से भर्ती प्रक्रिया करना क्या न्यायोचित है क्या इसे हाईकोर्ट में इसलिए चुनौती दी जा सकती की यह बदले की भावना से किया गया है और लाखों ईंमानदार और मेंहनती छात्रों के साथ शरीरिक मानसिकर एवं आर्थिक शोषण किया गया है। जबकि कायदे से यहां टीईटी की निश्पक्ष जांच करना चाहिए। अगर गड़बडी़ को पकड़ा जाए तो ठीक नहीं तो दूबारा टीईटी की पारदर्शी परीक्षा लोक सेवा आयोग या कर्मचारी चयन आयोग द्वारा कराया जा सकता है और इसी विज्ञापन से टीईटी मेरिट से चयन किया जा सकता है। विज्ञापन निरस्त करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग बेरोजगारों के हित में न्यायोचित फैसला नहीं लेता है तो लाखों मेंहनती बेरोजगारों के साथ धोखा होगा। लोकतांत्रिक ढंग यही है। हर बार की तरह यह नहीं सरकार बदले तो पिछली सरकार के कार्यकाल की परीक्षा और विज्ञापन को बदले की भावना में आकर निरस्त दिया जाए। इससे युवाओं का नुकसान होगा और नई सरकार को युवाओं ने चुना है ताकी मेंहनती बेरोजगारों के हक में कोई फैसला लेना चाहिए।
टीईटी पत्रता है लेकिन इसे आंध्रपदेश टीईटी ने भी चयन का आधार बनया है
एक तो शिक्षा अनवार्य कानून के तहत टीईटी अनिवार्य है। और इसको एनसीटीई ने पात्रता परीक्षा कहा है लेकिन यह नहीं कहा की आप इसकी मेरिट को नजर अंदाज कर दे। जब विशिष्ट बीटीसी के लिए बीएड उतीर्ण अर्हकारी परीक्षा है जिसे स्नातक या परास्नातक में पचास प्रतिशत अंक वाले कर सकते है। तो ऐसे में इनका मेरिट देखा जाना कहा तक सही है अगर सही है तो बताएं टीईटी की मेरिट से क्यों चयन नहीं हो सकता है। भले यह पात्रता परीक्षा है और इसका भी महत्व है जो कि सबसे आधिक है। आन्ध्र प्रदेश टीईटी में प्राप्त अंक के प्रतिशत को पचास प्रतिशत के अंकों में बदलकर और शैक्षिक रिकार्ड में अर्हकारी परीक्षा बीए या जिन्होंने परास्नातक के आधार पर बीएड किया है उनके परस्नातक के प्रतिशत में बीस–बीस प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत उच्च योग्यता के अंक को कुल 100 के अंकों में बांटा गया है। इन 100 अंकों में जितना अंक काई पाएगा उसी मेरिट बनेगी और उसे सरकारी विद्यालय में टीचर के पद नियुक्त कर लिया जायेगा।
टीईटी की हो निश्पक्ष जांच
कायदे से टीईटी की जांच कराई जानी चाहिए और इसी विज्ञापन के नियमानुसार भर्ती होनी चाहिए। अगर विज्ञापन और टीईटी रद्द किया गया तो छात्र हाईकोर्ट में खिलाफ रिट दाखिल करेंगे और फिर न्याय कोर्ट करेगा। लेकिन अगर कोर्ट ने विज्ञापन में संशोधन के साथ टीईटी के जांच के आदेश दे दिया और उसके बाद कोई सार्थक फैसला लिया तो सरकार की बड़ी किरकीरी हो सकती है।
हाईकोर्ट पटना के एक आदेश में पहले पुरानी विज्ञापन से हो भर्ती
ऐसे हाईकोर्ट से बेसिक शिक्षा विभाग को आदेश मिल सकता है कि इस विज्ञापन की भर्ती टीईटी मेरिट से किया जाये। हाईकार्ट पटना ने भी नई सरकार उस फैसले को गलत ठहराया जिसमें नीतीश कुमार पूर्वती सरकार के शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को निरस्त कर नया विज्ञापन जारी किया था और हाईकोर्ट पटना ने कहा कि पहले वाली विज्ञापन के शर्त पर भर्ती की जाये और दूसरी विज्ञापन की भर्ती पहली विज्ञापन की भर्ती के बाद में निकाली जा सकती है।
टीईटी निरस्त हुई तो मिले हर छात्र को 5 लाख हर्जाना
लेकिन बेसिक विभाग से आखिर कोई पूछे की टीईटी परीक्षा फिर कौन आयोजित करेगा। क्या फिर यूपी बोर्ड जहां संशोधन के बाद धांधली की गई है। जिसे जांच द्वारा पकड़ा जा सकता है। लेकिन अगला टीईटी निश्पक्ष कराने गारंटी कौन लेगा । अगर धांधली के कारण से परीक्षा निरस्त हुई तो क्या हर छात्र को जिसने परीक्षा ईंमानदार से उतीर्ण किया उसे पांच–पांच लाख रूपये हर्जाना दिया जाएगा ॽ ये सब तय कर ले तो अच्छा है।
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