आगरा : गुरू बनने के लिए होने वाली बीटीसी प्रवेश परीक्षा
उन्होंने पास कर ली। परंतु शक हो गया कि उनके सर्टिफिकेट नकली हैं। जांच
हुई तो यह सही निकला और अब ये अभ्यर्थी गुरु बनने से पहले ही गुरू घंटाल
में तब्दील हो गये हैं। 165 अभ्यर्थियों ने गुरुकुल विवि के फर्जी
दस्तावेजों के जरिए चयन सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया।
सत्र 2011-12 में बीटीसी के लिए जनपद में करीब 14000 अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे थे। किसी ने ग्वालियर के विवि के दस्तावेज लगाए तो किसी ने वृंदावन के गुरुकुल विवि और बनारस के संपूर्णानंद विवि के दस्तावेजों को संलग्न किया। चूंकि बीटीसी में इससे पहले भी फर्जी दस्तावेजों से नौकरी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लिहाजा डायट प्राचार्या को संदेह हुआ। इसके बाद जिन छात्रों ने गुरुकुल विवि के प्रमाण और अंकपत्र लगाए थे, उनके सत्यापन की प्रकिया शुरू की गई। प्रशासन ने डीआइओएस को जिम्मेदारी सौंपी और डीआइओेएस ने छात्रों के प्रमाणपत्र गुरुकुल विवि भेजे।
इस दौरान चुनाव आचार संहिता होने के चलते बीटीसी की चयन सूची जारी नहीं की गई। अब गुरुकुल विवि की ओर से इन अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट के अनुसार बीटीसी चयन सूची में जारी सभी 165 छात्रों के दस्तावेज पूरी तरह फर्जी हैं। इनके विवि से जारी होने का कोई अभिलेख भी मौजूद नहीं है। साथ ही विवि के कुलपति आचार्य स्वदेश ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की सलाह दी है। रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों के माथे पर बल पड़ गए हैं।
पहले भी हो चुकीं फर्जीवाड़े की घटनाएं
बीटीसी चयन में फर्जीवाड़े का खेल नया नहीं है। हाल में ही बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे एक शिक्षक के अभिलेखों के भी फर्जी होने के आरोप लगे हैं। अंबेडकर विवि के साथ ही पुलिस भी मामले की जांच कर रही है।
पहले बीटीसी से ही बनते थे शिक्षक
आगरा में बीटीसी की कुल 725 सीटें हैं। शासन ने सरकारी प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में नौकरी के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को अनिवार्य कर दिया है। लेकिन एक साल पहले तक बेसिक टीचर्स सर्टिफिकेट (बीटीसी) ही अहम योग्यता मानी जाती थी। इसमें चयन का आधार अभ्यर्थी के अंक हैं। लिहाजा अभ्यर्थी अच्छी मेरिट के लिए फर्जीवाड़े का सहारा लेते हैं।
'विवि जांच रिपोर्ट अभी मेरे पास नहीं आई है। हमने संदेह होने पर पहले ही 165 छात्रों के नाम हटा दिए थे। रिपोर्ट आने के बाद इसे निदेशालय को भेजा जाएगा और संबंधित अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'
- नीना कटियार, प्राचार्या डायट
सत्र 2011-12 में बीटीसी के लिए जनपद में करीब 14000 अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे थे। किसी ने ग्वालियर के विवि के दस्तावेज लगाए तो किसी ने वृंदावन के गुरुकुल विवि और बनारस के संपूर्णानंद विवि के दस्तावेजों को संलग्न किया। चूंकि बीटीसी में इससे पहले भी फर्जी दस्तावेजों से नौकरी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लिहाजा डायट प्राचार्या को संदेह हुआ। इसके बाद जिन छात्रों ने गुरुकुल विवि के प्रमाण और अंकपत्र लगाए थे, उनके सत्यापन की प्रकिया शुरू की गई। प्रशासन ने डीआइओएस को जिम्मेदारी सौंपी और डीआइओेएस ने छात्रों के प्रमाणपत्र गुरुकुल विवि भेजे।
इस दौरान चुनाव आचार संहिता होने के चलते बीटीसी की चयन सूची जारी नहीं की गई। अब गुरुकुल विवि की ओर से इन अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट के अनुसार बीटीसी चयन सूची में जारी सभी 165 छात्रों के दस्तावेज पूरी तरह फर्जी हैं। इनके विवि से जारी होने का कोई अभिलेख भी मौजूद नहीं है। साथ ही विवि के कुलपति आचार्य स्वदेश ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की सलाह दी है। रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों के माथे पर बल पड़ गए हैं।
पहले भी हो चुकीं फर्जीवाड़े की घटनाएं
बीटीसी चयन में फर्जीवाड़े का खेल नया नहीं है। हाल में ही बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे एक शिक्षक के अभिलेखों के भी फर्जी होने के आरोप लगे हैं। अंबेडकर विवि के साथ ही पुलिस भी मामले की जांच कर रही है।
पहले बीटीसी से ही बनते थे शिक्षक
आगरा में बीटीसी की कुल 725 सीटें हैं। शासन ने सरकारी प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में नौकरी के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को अनिवार्य कर दिया है। लेकिन एक साल पहले तक बेसिक टीचर्स सर्टिफिकेट (बीटीसी) ही अहम योग्यता मानी जाती थी। इसमें चयन का आधार अभ्यर्थी के अंक हैं। लिहाजा अभ्यर्थी अच्छी मेरिट के लिए फर्जीवाड़े का सहारा लेते हैं।
'विवि जांच रिपोर्ट अभी मेरे पास नहीं आई है। हमने संदेह होने पर पहले ही 165 छात्रों के नाम हटा दिए थे। रिपोर्ट आने के बाद इसे निदेशालय को भेजा जाएगा और संबंधित अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'
- नीना कटियार, प्राचार्या डायट
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