23 March 2012

Latest RAJASTHAN News : जयपुर : सीएम, 15 मंत्री समेत 156 एमएलए किताबों से दूर!

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुलना में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पुस्तकों का ज्यादा शौक है। मुख्यमंत्री बनने के बाद गहलोत ने विधानसभा के पुस्तकालय से एक भी पुस्तक नहीं ली है। वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्री काल एवं अभी नेता प्रतिपक्ष रहते हुए विधानसभा के पुस्तकालय से संविधान, संसदीय प्रक्रिया एवं विधानसभा की कार्यवाही, जाट एवं राजपूत राजघराने आदि विभिन्न विषयों की 24 से अधिक पुस्तकें जारी करवाई हैं। विधानसभा के रिकार्ड के मुताबिक 200 सदस्यों में से 156 विधायकों ने विधानसभा पुस्तकालय का कोई उपयोग ही नहीं लिया है। इस सूची में 15 मंत्री समेत पक्ष एवं विपक्ष के दिग्गज विधायक शामिल हैं।


राजस्थान विधानसभा से संवाददाता द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में यह रोचक खुलासा हुआ है। राजस्थान विधानसभा में संविधान, कानूनी प्रक्रिया, संसदीय पद्धति समेत सैकड़ों विषयों की कुल 48,088 पुस्तकें उपलब्ध हैं। पुस्तकालय का सबसे ज्यादा उपयोग विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत ने किया है। उन्होंने भारतीय संविधान के विभिन्न वॉल्यूम, उर्दू-हिंदी शब्दकोष, संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया आदि से जुड़ी 30 से भी अधिक पुस्तकें ली हैं। आरटीआई के जवाब में सबसे दिलचस्प तथ्य सामने आया कि भंवरी देवी प्रकरण में बर्खास्त एवं जेल में बंद पूर्व मंत्री महीपाल मदेरणा ने जनवरी, फरवरी, 2010 में पुस्तकालय से गांधी मार्ग की पुस्तक-पत्रिकाएं लेकर पढ़ी हैं।

सत्ता पक्ष का हरावल दस्ता

पुस्तकालय से नियम कायदों समेत विभिन्न विषयों से जुड़ी पुस्तकें लेने वालों की सूची सत्ता पक्ष के मंत्री राजेंद्र पारीक, डॉ. दयाराम परमार, गृह राज्यमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल, रामकिशोर सैनी, विधायक डॉ. रघु शर्मा, मेजर ओपी यादव, राम नारायण मीणा, संतोष कुमार सहारण, महेंद्र चौधरी आदि प्रमुख हैं।

विपक्ष की तेज धार

विपक्ष की बात करें तो भाजपा विधायक गुलाबचंद कटारिया, ओम बिरला, घनश्याम तिवाड़ी, नरपत सिंह राजवी, राजेंद्र सिंह राठौड़, राजपाल सिंह शेखावत, अशोक परनामी, हनुमान बेनीवाल, माकपा विधायक अमराराम आदि ने कानून, संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया, भारतीय संविधान समेत विभिन्न प्रकार की पुस्तकें इश्यू करवाई हैं।

गहलोत ने ऐसे किया उपयोग

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले बीस साल में विधायक बनने के बाद अब तक कितनी बार एवं कौन-कौन सी पुस्तकें इश्यू कराईं, इस बारे में सवाल पूछा गया था। जवाब में बताया गया कि 31 जनवरी, 1999 को राजस्थान विधानसभा कार्यवाही वृतांत की 7 प्रतियां अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा पुस्तकालय से ली गई थीं, जो उसी दिन जमा करा दी गईं। इसके अलावा दैनिक भास्कर एवं दो अन्य अंग्रेजी अखबार की प्रतियां पुस्तकालय से 3 मई, 2001 एवं 26 मार्च, 2002 को ली गईं, जो वापस जमा करा दी गईं। इसी तरह गहलोत ने 10 मार्च, 2010 को डीएनए सहित अंग्रेजी के तीन न्यूज पेपर लिए थे।
वसुंधरा राजे की ये पसंदीदा पुस्तकें

आरटीआई के जवाब के मुताबिक दिसंबर, 2003 से वसुंधरा राजे ने पुस्तकालय का उपयोग शुरू किया है। वसुंधरा राजे ने कर्नल जेम्स टाड की लिखी एनालस एंड एंटीक्यूटीज ऑफ राजस्थान के दो वॉल्यूम 26 सितंबर, 2006 को लिए थे। ये पुस्तकें उदयपुर की एक हवेली और 36 रॉयल घरानों से प्रमुख मारवाड़, बीकानेर एवं जैसलमेर को लेकर हैं, जिसमें राजस्थान के लोगों के पहनावे, संस्कृति, त्योहार, राजतिलक की परंपरा आदि का वृतांत है। ये पुस्तकें दो वर्ष बाद नवंबर, 2008 को जमा कराई गईं। इसी तरफ आईआरएस भीमसिंह दहिया की लिखी जाट द एनशिएंट रूलर नामक पुस्तक वसुंधरा राजे ने इश्यू कराई। राजे ने भारतीय संविधान, रोड एटलस, संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया, लॉ प्रिविलेज एंड प्रोसेस, बजट भाषण, विधानसभा कार्यवाही का वृतांत समेत विभिन्न पुस्तकें ली हैं।

जिम्मेदारी बड़ी, पढ़ने में पीछे

पुस्तकालय का उपयोग नहीं करने वालों की सूची में मंत्री शांति धारीवाल, हरजीराम बुरड़क, हेमाराम चौधरी, डॉ. जितेंद्र सिंह, परसादी लाल मीणा, बाबूलाल नागर, बीना काक, बृज किशोर शर्मा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय जैसे दिग्गज शामिल हैं। इस सूची में विपक्ष की विधायक किरण माहेश्वरी, डॉ. दिगंबर सिंह, कालीचरण सर्राफ, देवी सिंह भाटी, गजेंद्र सिंह खींवसर आदि शामिल हैं।

पढ़ने में ये महिलाएं आगे

वसुंधरा राजे के अलावा पुस्तकें लेने वाली महिला विधायकों में अनिता सिंह, रीटा चौधरी, अंजु खंगवाल, अनिता भदेल, कमसा मेघवाल आदि शामिल हैं।

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