जयपुर : मध्यप्रदेश
सरकार ने पहल करते हुए 1 अप्रैल से तंबाकू युक्तगुटखा और पान मसाला के
उत्पादन तथा बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। मध्यप्रदेश के फूड सेफ्टी
कमिश्नर अश्विनी कुमार राय के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष में अप्रैल से
दिसंबर के दौरान लिए गए सभी 122 गुटखा और पान मसाला के सैंपल फेल हो गए थे।
इनमें मैग्नीशियम काबरेनेट और तंबाकू के अंश मिले थे। यही आधार बना वहां
लगे प्रतिबंध का।
राजस्थान
में पिछले वित्तीय वर्ष में 19 सैंपल पान मसाला के लिए गए थे जिनमें 14
फेल हो गए। यानी ये सभी मानकों के अनुरूप नहीं थे। सवाल उठता है कि शुद्ध
के लिए युद्ध चला रहे स्वास्थ्य विभाग द्वारा पान मसाला के इतने कम सैंपल
क्यों लिए गए? और जो लिए गए हैं उनमें से भी तकरीबन 70 फीसदी मानकों के
अनुरूप नहीं पाए गए।
फूड
सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस एक्ट के मुताबिक पान मसाला एक खाद्य पदार्थ है।
इसमें तंबाकू या अन्य खतरनाक पदार्थ नहीं मिलाए जा सकते। ऐसे ही निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के भी हैं। लेकिन, राज्य सरकार इससे बेखबर है। उसने इसको ही
कमाई का जरिया बनाया है। नए राज्य बजट (2012-13) में तंबाकू उत्पाद और
गुटखा पर वैट को मौजूदा 40 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है।
साल
2006 में केंद्र सरकार ने पीएफए कानून (1954) में संशोधन कर गुटखा, पान
मसाला और चबाए जाने वाले तंबाकू पर प्रतिबंध की तैयारी कर ली थी। इसके
खिलाफ गुटखा इंडस्ट्री ने कई राज्यों के उच्च न्यायालयों से स्टे ऑर्डर
हासिल कर लिए। संशोधन के खिलाफ याचिकाएं 2009 में सुप्रीम कोर्ट को
ट्रांसफर कर दी गईं, जिसके बाद इस मामले पर सरकार उदासीन हो गई। लेकिन,
पीएफए एक्ट (1954) को हटाकर अगस्त 2011 में लागू किए गए कानूनक्ट के तहत
तंबाकू युक्त खाद्य पदार्थो को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
'एक
अप्रैल से तंबाकू बेचने वालों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण
अधिनियम के तहत मामला बनाया जाएगा। इसके तहत खाद्य पदार्थो में तंबाकू की
मिलावट प्रतिबंधित है। इसमें पड़ोसी राज्यों से आने वाले गुटखों की भी
सप्लाई रोकी जाएगी।'
अश्विनी कुमार राय, फूड सेफ्टी कमिश्नर, भोपाल
'अभी
डिपार्टमेंट ने सरकार से पान मसाला या गुटखा पर प्रतिबंध के बारे में कोई
सिफारिश नहीं की है। हालांकि हम फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस अधिनियम के तहत
ही कार्रवाई कर रहे हैं। सभी 14 फेल हुए सैंपलों पर कोर्ट में चालान पेश
किए गए हैं।'
डॉ. बीआर मीणा, फूड सेफ्टी कमिश्नर, राजस्थान
क्यों लगना चाहिए प्रतिबंध : 6 कारण
केंद्र
सरकार ने फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट को गुटखा के बारे में रिपोर्ट
सौंपी थी जिसके मुताबिक गुटखा और पान मसाला में 3,095 कैमिकल्स पाए गए हैं।
इनमें से 28 कैंसर हो सकता है। इसके अलावा सीसे और तांबे जैसे कई हैवी
मेटल्स (भारी धातु) भी पाए गए थे। सीसा नर्वस सिस्टम और तांबा जीन्स पर भी
बुरा प्रभाव डालता है। इस रिपोर्ट को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ एंड
फैमिली वेलफेयर (एनआईएचएफडब्ल्यू) ने 2003 और 2010 के बीच देशभर में कई लैब
टैस्ट करने के बाद तैयार किया था।
रेडियोथैरेपी
विभाग के प्रोफेसर एंड यूनिट हेड डॉ. ओपी शर्मा के मुताबिक एसएमएस अस्पताल
में हर साल आने वाले कैंसर मरीजों में करीब 1600 वो हैं, जो तंबाकू गुटखे
खाने के कारण इसके शिकार हुए। इसके अतिरिक्त मुंह के कैंसर (ओरल कैंसर) के
तकरीबन 90 फीसदी केस तंबाकू से जुड़े हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन
(डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन के मुताबिक हर साल देश में ऐसे 75 से 80 हजार नए
कैंसर रोगियों की पहचान होती है। एक आंकड़े के मुताबिक देश के तकरीबन 25
फीसदी लोग इन पदार्थो का उपयोग करते हैं।
अगस्त
2011 से लागू हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस एक्ट (एफएसएसए) 2011 के
मुताबिक किसी भी खाद्य उत्पाद में तंबाकू और निकोटीन को एक पदार्थ के तौर
पर काम में नहीं लिया जा सकता। यानी किसी भी खाद्य पदार्थ में तंबाकू या
निकोटीन का पाया जाना अवैध है।
फूड
सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के रेगुलेशन के
मुताबिक- खाद्य उत्पाद में कोई भी ऐसा पदार्थ नहीं पाया जाना चाहिए जो
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता हो: तंबाकू और निकोटीन किसी भी खाद्य
उत्पाद में काम में नहीं लिए जा सकते।
गुटखा,
पान मसाला, सुपारी और चबाने वाले पदार्थो को सुप्रीम कोर्ट (2004 में) और
देश के कई हाई कोर्ट एक खाद्य पदार्थ बता चुके हैं। साल 2004 में गोडावत
पान मसाला प्रॉडक्ट्स आई पी लिमिटेड बनाम भारत संघ व अन्य केस में सुप्रीम
कोर्ट ने साफ कहा था- जैसा कि पान मसाला, गुटखा या सुपारी स्वाद और पोषण के
लिए खाए जाते हैं, इसलिए ये सभी पीएफए एक्ट के सेक्शन 2 (पांच) के मुताबिक
खाद्य पदार्थ हैं।
पहले लागू कानून प्रिवेंशन
ऑफ
फूड अडल्ट्रेशन (पीएफए) 1954 के मुताबिक गुटखा एक खाद्य उत्पाद है। यानी
इन कानूनों पर गौर करें तो गुटखा में यदि तंबाकू या निकोटीन की मात्रा पाई
जाती है तो यह अवैध है। खुद केंद्र सरकार ने अपनी रिपोर्ट में गुटखा में
खतरनाक कैमिकल्स और हैवी मेटल्स के पाए जाने की पुष्टि की है।
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