सीकर.पांच
साल बाद 41 हजार पदों के लिए हो रही ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती परीक्षा
आरपीएससी से ही कराने की मांग को लेकर शेखावाटी में पिछले दो सप्ताह से
हंगामा बरपा हुआ है। विधानसभा में आवाज उठने के बाद भाजपा, माकपा के साथ
कांग्रेसी विधायक आगे आ रहे हैं। सूरजगढ़ विधायक श्रवणकुमार तो आरपीएससी से
भर्ती नहीं होने पर इस्तीफा देने का ऐलान तक कर चुके हैं। शेखावाटी में
करीब 65 हजार आरटेट पास है, जिनमें से करीब 15 हजार फिलहाल सड़कों पर
विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। विधायकों के घरों पर प्रदर्शन करके विधानसभा
में मांग उठाने और नहीं उठाने पर इस्तीफा देने की मांग तक की जा रही है। दो
सप्ताह के भीतर 20 से अधिक प्रदर्शन, धरने, रैली व बंद तक हो चुके हैं।
दैनिक भास्कर ने पूरे मामले को विशेषज्ञों की मदद से समझने की कोशिश की।
क्या वजह थी जिला परिषद से छिनी गई थी शिक्षक भर्ती?
1993 से 1999 के बीच ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती परीक्षा जिला परिषदों के मार्फत ही हुआ करती थी। 1999 में कई जिलों में हंगामा भी बरपा। दूसरे जिलों से आए अभ्यर्थियों के दस्तावेज फाड़कर उन्हें परीक्षा तक नहीं देने दी गई। बाद में संविदा शिक्षकों को बिना दस्तावेजों के स्कूलों में नियुक्ति देकर आठ महीने बाद हटाने के मामले में कई शिक्षक कोर्ट चले गए। बाद में भाजपा की सरकार आ गई और सरकार ने कोर्ट में हल्फनामा दिया कि शिक्षकों की नियुक्ति परीक्षा से ही होगी। बाद में जिम्मेदारी आरपीएससी को सौंप दी गई।
आरपीएससी से भर्ती इसलिए
1. बड़ी वजह जिलेवाइज कम और ज्यादा पद है। उदाहरण के तौर पर झुंझुनूं में सिर्फ 20 पद है जबकि आरटेट 22 हजार। अब चुनौती यह है कि उन्हें भर्ती के लिए बाड़मेर, सवाईमाधोपुर व नागौर जैसे जिलों में जाना होगा। फिलहाल एक अभ्यर्थी 33 फार्म भर रहा है। उसके सामने मजबूरी यह भी होगी कि परीक्षा के वक्त वह यह तय भी ठीक से नहीं कर पाएगा कि परीक्षा देने कौनसे जिले में जाए? और गया भी तो क्या 1998 की तरह उसके साथ कुछ गड़बड़ी तो नहीं होगी? परीक्षा भी दे दी तो क्या सलेक्शन हो पाएगा?
2. आरपीएससी से परीक्षा में एक ही फार्म भरना होगा। जबकि अब एक अभ्यर्थी कई फार्म भरने को मजबूर है। अलग-अलग जिले की मेरिट सिस्टम भी कॅरिअर बिगाड़ सकती है। वजह है कि नागौर में सबसे अधिक पद है इसलिए वहां की मेरिट80 तक जा सकती है।जबकि सबसे कम पद जालौर में वहां 40 तक रह सकती है।साफ है कि इससे असमानता बढ़ेगी। जबकि आरपीएससी में पूरे राज्य की मेरिट एक ही होगी।
3. 2005 और 2007 में आरपीएससी ने ही ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती परीक्षा करवाई थी। उस वक्त 2005 में 41हजार पदों पर 35,500 और 2007 में 31 हजार पदों के मुकाबले 29500 भर्ती हुए। इनमें भी सीकर, चूरू, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर व बीकानेर से सबसे अधिक पद भरे गए।
भाजपा, माकपा के बाद कांग्रेस विधायक क्यों कर रहे हैं समर्थन?
भाजपा व माकपा भर्ती आरपीएससी से ही कराने की मांग को लेकर बंद, रैली व प्रदर्शन तक कर चुके हैं। विधानसभा के अंदर व बाहर भी हंगामा बरस चुका है। हजारों युवाओं को सड़क पर उतरे देख कांग्रेस विधायक भी विधानसभा में मांग उठाने की बात कर रहे हैं।सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार इस्तीफा देने की पेशकश तक चुके हैं।
झुंझुनूं विधायक व मंत्री बृजेंद्र ओला मंच से आरपीएससी से ही भर्ती कराने की मांग कर चुके हैं। विधायक व जनप्रतिनिधि समझने लगे है कि हजारों युवाओं का साथ नहीं दिया तो चुनाव में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। लिहाजा, आवास पर प्रदर्शन के बाद जिला प्रमुख रीटा सिंह, उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक व लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंदसिंह डोटासरा नौ अप्रैल को विधानसभा में मामला उठाने की हामी भर चुके हैं।
जिला परिषद से भर्ती क्यों नहीं चाहते हैं?
1. अभ्यर्थियों को डर है कि जिला परिषद की भर्ती पर राजनीति हावी रहेगी और उन्हें सही न्याय नहीं मिल पाएगा। जिला परिषद के पास भी लॉजिक नहीं है कि भर्ती जिला परिषद से ही क्यों होनी चाहिए?
2. पेपर लॉकल बॉडी ही बनाएगी। अभ्यर्थियों का कहना है कि पेपर आउट होने की पूरी संभावना है। यह भी आसानी से पता चल जाएगा कि पेपर बनाने वाली कमेटी में कौन-कौन है? जबकि आरपीएससी में पता तक नहीं चलता।
3. जिला परिषद से होने वाली भर्ती में अभी तक कई नियम स्पष्ट नहीं हो पाए हैं, इसलिए आशंका व चिंताएं और बढ़ गई है।
एनएसयूआई भी कूदी आंदोलन में, सूरजगढ़ विधायक को बुलाया
छात्र संगठन एनएसयूआई भी ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती परीक्षा आरपीएससी से कराने की मांग को लेकर सात अप्रैल को सीकर के सभी कोचिंग संस्थान बंद रखने का आह्वान कर चुकी है। इसके बाद सुबह 11 बजे कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी दिया जाएगा। यहां होने वाली सभा में सूरजगढ़ से कांग्रेस विधायक श्रवणकुमार मुख्य वक्ता होंगे।
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