बीकानेर/जोधपुर.राज्य में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्तियों के साथ ही तबादले करने की भी तैयारी चल रही है। हर जिले में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद और नई भर्ती वाले पदों की संख्या अलग-अलग होने के कारण ऐसा किया जाएगा।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने प्रतिबंधित दस जिलों सहित सभी जिलों में तबादले और नियुक्तियों को लेकर कसरत शुरू कर दी है। तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्तियां जिला परिषद के तहत होनी है। नियुक्तियों के साथ ही जिला परिवर्तन करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजने की तैयारी की जा रही है।
सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर प्रतिबंधित दस जिलों में तबादले के इच्छुक शिक्षकों की सूचना मांगी थी। इसके लिए मानदंड भी तय किए हैं। सरकार ने जुलाई 2012 तक पांच साल वाले पुरुष और दो साल पूरे करने वाली महिलाओं की सूचियां तैयार करने को कहा है। इसके साथ ही विधवा, परित्यक्ता, एकल महिला, विकलांग, असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षकों की भी संख्या मांगी है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने वर्ष 2011 तक इस मानदंड के तहत आने वाले प्रदेश के शिक्षकों की गणना करवाई थी। ऐसे करीब नौ हजार सात सौ शिक्षक ने इच्छित जिले में जाने के लिए आवेदन भरे थे लेकिन अब 2012 तक की सूचना के लिए गणना दुबारा करवानी होगी।
निदेशालय स्तर पर इस संबंध में सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रदेश सचिव रवि आचार्य के अनुसार राज्य सरकार को पहले नई नियुक्तियां करनी चाहिए। तबादले साथ हुए तो इससे सभी जिलों में शिक्षण व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी।
क्योंकि प्रतिबंधित जिलों में हजारों की संख्या में सामान्य जिलों के शिक्षक वर्षो से कार्यरत हैं और सभी अपने-अपने गृह जिले में जाना चाहते हैं।
नियुक्तियां और तबादलों पर असमंजस :
निदेशालय सूत्रों का कहना है कि नियुक्तियां तृतीय श्रेणी के अलावा द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की भी होनी है और पूरे राज्य में होगी। ऐसे में यह तय करना होगा कि तबादले केवल प्रतिबंधित जिलों में ही होंगे या सभी जिलों में किए जाएंगे।
सरकार ने केवल प्रतिबंधित जिलों की ही सूचना मांगी है। इसे लेकर अधिकारी असमंजस में हैं। बताया जाता है कि पूर्व में अकेले बाड़मेर से साढ़े तीन हजार से अधिक शिक्षकों ने अंतर जिला तबादले के लिए आवेदन भरे थे, जबकि इतनी नियुक्तियां वहां नहीं होंगी। इसके लिए विभागीय स्तर पर मानदंड तय किए जाएंगे।
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