30 December 2011

Latest News : राज्यसभा अनिश्चिकाल के लिए स्थगित, पास नहीं हुआ बिल


नई दिल्ली। राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो सका। देर रात तक चली मैराथन बहस के बाद राज्यसभा बिना किसी नतीजे के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इसके साथ ही देश के 42वर्षो के इंतजार को भी करारा झटका लगा। सरकार के इस कदम को विपक्षी नेताओं ने सरकार की चाल करार दिया और इसे लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन बताया।
राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित न होने के बाद और और राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थागित करने के बाद विपक्षी सांसदों ने संसद के बाहद जमकर नारेबाजी की।
सरकार के प्रस्ताव और विपक्ष द्वारा इसका विरोध किए जाने के बीच सभापति हामिद अंसारी ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले कहा कि एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों पक्ष एक दूसरे को शोर मचाकर चुप करा देना चाहते हैं।
अंसारी ने कहा कि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। सदन में हो रहे हंगामे की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो बेहतर होगा कि हम अपने घर चले जाएं।
इसके पूर्व विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा कि सरकार सदन से भाग रही है क्योंकि वह बुरी तरह से अल्पमत में आ गई है। उन्होंने कहा कि इस सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है।
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसको लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन कहा। उन्होंने कहा कि यह सब कांग्रेस की सोची समझी रणनीति का नतीजा है। इससे लोकतंत्र की हत्या हुई है। उन्होंने कांग्रेस के रवैये पर नाखुशी जताते हुए सरकार से इस्तीफा देने की मांग की है। वहीं संसद के बाहद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वैंकया नायडू ने कहा कि कांग्रेस सरकार में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने न सिर्फ देश की जनता से धोखा किया है बल्कि संसद को भी धोखा दिया है। इसके लिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस के इस कदम से देश की जनता को गहरा आघात लगा है जिसके बाद नैतिकता के आधार पर सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक इतिहास में यह सबसे काला दिन था जिसे पहले कभी नहीं देखा गया।
सरकार के कदम से बौखलाए सांसदों ने संसद के बाहर आकर सरकार और कांग्रेस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। विपक्षी सांसदों की नाराजगी पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि विधेयक का विरोध करने वालों को जनता के बीच जाकर जवाब देना चाहिए कि आखिर किस आधार पर उन्होंने लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में वोटिंग की थी। उन्होंने कहा कि यदि वह सच के साथ हैं तो जवाब दें। उन्होंने विधेयक पास न होने के लिए भाजपा समेत पूरे विपक्ष की निंदा की।
वहीं राज्यसभा के अनिश्चकाल के स्थगित हो जाने के बाद बाहर निकले बीएसपी के सांसद सतीश चंद्र मिश्र भी काग्रेस के इस कदम से काफी आहत दिखाई दिए। उन्होंने इसको कांग्रेस और सरकार की सोची समझी चाल करार दिया। कांग्रेस को वाम दलों की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। सीतारात यचूरी ने भी कांग्रेस के कदम को गलत बताया।
वहीं सरकार की तरफ से कहा गया है कि विधेयक पर उन्हें 187 संशोधन मिले हैं जिन्हें पढ़ने में समय लगेगा। सरकार को इस विधेयक के पास होने में सबसे बड़ा झटका अपनों ने ही दिया। जहां त्रणमूल कांग्रेस उसके काबू में नहीं आई वहीं बीएसपी ने भी उसे विधेयक पास कराने के मामले में ठेंगा दिखा दिया।
इससे पूर्व राज्यसभा में बहस के दौरान करीब दस बजे भाजपा सांसद चंदन मित्रा के वक्तव्य पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्तिजताई। चंदन मित्रा का आरोप था कि पूर्व प्रधानमंत्री को छोड़कर कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त थे। इसके विरोध में सरकार में मंत्री में पवन कुमार बंसल ने खड़े हो गए और उनका विरोध किया। जिसके बाद सभापति ने भी चंदन को मुद्दे से न भटकने की हिदायत भी दी। सभापति ने चंदन मित्रा से पूछा कि क्या आप किसी पर दोषारोपण किए बिना अपनी बात कह सकते हैं या नहीं। लेकिन इसके बाद भी चंदन और बंसल के बीच नौकझौंक जारी रहने के बाद सभापति ने चंदन मित्रा का समय समाप्त करते हुए उन्हें बैठ जाने की सलाह दी।
कुल मिलाकर लोकपाल के राज्यसभा में पारित न होने के बाद अब इसके लिए दोबारा से प्रक्रिया दोहराई जाएगी और फिर एक मैराथन बहस की उम्मीद की जा रही है। उम्मीद यह भी है कि शायद नए साल में यह विधेयक पास हो सकेगा।

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