महराजगंज। दिन-रात एक कर अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने वालों के लिए एक बुरी खबर है। विशिष्ट बीटीसी के 72825 पदों पर शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया है। ऐसा विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता के लागू हो जाने के कारण हुआ है। नौ मार्च तक नियुक्ति नहीं हो सकती है। इसके साथ मार्च खत्म होते ही अप्रैल में दुबारा टीईटी एग्जाम कराया जा सकता है। इसकी परीक्षा साल में दो बार होनी है।प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा अभियान आरटीई के तहत बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय लिया। इसके लिए 13 नवबर ंको शिक्षक पात्रता परीक्षा कराई गई। योग्यता बीएड निर्धारित की गई। जिसके प्राथमिक और उच्च प्राथमिक संवर्ग की परीक्षा में करीब 12 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। परिणाम 25 नवंबर को जारी किया गया। उसके कुछ दिन बाद ही विशिष्ट बीटीसी के 72825 पदों के लिए विज्ञापन निकाले गए। पहले आवेदन की अंतिम तारीख 19 दिसंबर तय की गई। उन पदों पर नियुक्ति 31 दिसंबर 2011 के पहले कर लेने की बाध्यता थी, लेकिन रिजल्ट और विज्ञापन में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर हंगामा होने लगा। कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए। जिस पर कोर्ट ने विज्ञापन में पांच जिलों में आवेदन करने की बाध्यता को संविधान के खिलाफ करार देकर भर्ती विज्ञापन को खारिज कर दिया। उसके बाद सरकार ने पूरे प्रदेश के हर जिले में आवेदन करनी की छूट देकर उसकी अंतिम तारीख नौ जनवरी तय कर दी। टीईटी रिजल्ट में अब तक सात बार संशोधन हो चुके हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर 22 दिसम्बर को माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पूरे रिजल्ट को संशोधित कर दिया। जिसमें हर अभ्यर्थी का अंक बढ़ गया। प्राथमिक स्तर में एक से छह अंक बढ़ गए। जबकि उच्च प्राथमिक स्तर के रिजल्ट में एक से 10 नंबर तक बढ़ गए।नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी, उसी बीच भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित कर दीं। आयोग की घोषणा होते ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। इससे भर्ती प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया। आचार संहिता के वर्ग आठ सत्ताधारी दल कालम के 6-घ में यह प्राविधान है कि शासन, सार्वजनिक उपक्रम आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति न की जाए, इससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हों। चुनाव का आदर्श संहिता नौ मार्च तक लागू रहेगी। इससे साफ हो गया है कि नौ मार्च तक नियुक्ति नहीं की जा सकती है।
"आदर्श चुनाव आचार संहिता को परिभाषित करने की जरूरत नहीं है। आचार संहिता के चलते नियुक्ति होने का सवाल ही नहीं है। अब आचार संहिता खतम होने के बाद ही कुछ हो सकता है।" -अनिल संत (बेसिक शिक्षा सचिव) उत्तर प्रदेश शासन
क्या कहता है आचार संहिता:
शासन, सार्वजनिक उपक्रम आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति न की जाए, जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हों।
(आचार संहिता के वर्ग आठ सत्ताधारी दल कालम का 6-घ)
"आदर्श चुनाव आचार संहिता को परिभाषित करने की जरूरत नहीं है। आचार संहिता के चलते नियुक्ति होने का सवाल ही नहीं है। अब आचार संहिता खतम होने के बाद ही कुछ हो सकता है।" -अनिल संत (बेसिक शिक्षा सचिव) उत्तर प्रदेश शासन
क्या कहता है आचार संहिता:
शासन, सार्वजनिक उपक्रम आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति न की जाए, जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हों।
(आचार संहिता के वर्ग आठ सत्ताधारी दल कालम का 6-घ)
1 comment:
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