कानपुर : बीते
कुछ सालों से सीबीएसई की बराबरी करने में जुटे यूपी बोर्ड की कोशिश है कि
उसके परीक्षार्थियों का प्राप्तांक प्रतिशत सुधरे। इसके बावजूद जहां मेरिट से चयन की बारी आती है वहां अभी भी सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड यूपी बोर्ड को पीछे ढकेल रहे हैं। हाल ही में बीटीसी चयन में भी इसी तरह का ग्राफ दिखा।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के बीटीसी चयन में 450 सीटों में सीबीएसई व आईसीएसई ने हाई मेरिट की 87 सीटों पर कब्जा जमाया है। पुरुषों की सीटों पर चयनित 102 अभ्यर्थियों में 69 प्रोफेशनल डिग्रीधारी हैं, उनमें कई सीबीएसई के हैं। विज्ञान वर्ग में चयनित 101 छात्राओं में जिन प्रोफेशनल कोर्सेज की 48 छात्राओं को मेरिट में स्थान मिला है, उनमें भी सीबीएसई की छात्राएं हाई मेरिट पर हैं।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के बीटीसी चयन में 450 सीटों में सीबीएसई व आईसीएसई ने हाई मेरिट की 87 सीटों पर कब्जा जमाया है। पुरुषों की सीटों पर चयनित 102 अभ्यर्थियों में 69 प्रोफेशनल डिग्रीधारी हैं, उनमें कई सीबीएसई के हैं। विज्ञान वर्ग में चयनित 101 छात्राओं में जिन प्रोफेशनल कोर्सेज की 48 छात्राओं को मेरिट में स्थान मिला है, उनमें भी सीबीएसई की छात्राएं हाई मेरिट पर हैं।
यूपी बोर्ड के उपाय
- हाईस्कूल व इंटर में स्टेप मूल्यांकन व्यवस्था लागू की
- हाईस्कूल में 30 अंकों की प्रोजेक्ट परीक्षा शुरू
- प्रश्नपत्रों में वस्तुनिष्ठ व लघु उत्तरीय प्रश्न बढ़ाए
- हाईस्कूल में हर विषय का एक एक प्रश्नपत्र किया
- इंटर में हिंदी व गणित का एक एक प्रश्नपत्र घटाया
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- हाईस्कूल में 30 अंकों की प्रोजेक्ट परीक्षा शुरू
- प्रश्नपत्रों में वस्तुनिष्ठ व लघु उत्तरीय प्रश्न बढ़ाए
- हाईस्कूल में हर विषय का एक एक प्रश्नपत्र किया
- इंटर में हिंदी व गणित का एक एक प्रश्नपत्र घटाया
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क्या हुआ असर
यूपी बोर्ड की मशक्कत से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में प्राप्तांक प्रतिशत में
बढोत्तरी हुई है। इंटमीडिएट का परिणाम देखें तो 2010 में द्वितीय श्रेणी
में 45.4 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए थे जबकि 2011 में इनकी संख्या घटकर 44.4
प्रतिशत रह गयी। इसके विपरीत प्रथम ससम्मान (75 प्रतिशत अथवा उससे अधिक
अंक) में 2010 में 3.20 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे जबकि 2011 की
परीक्षा में प्रतिशत बढ़ कर 3.51 हो गया। आंकड़े गवाह हैं कि प्राप्तांक प्रतिशत सुधरने से श्रेणी तो सुधरी पर सीबीएसई का मुकाबला अभी टेढ़ी खीर है।