04 January 2012

Latest News : अब बैंकिंग पोर्टेबिलिटी की बारी


नई दिल्ली । मोबाइल और स्वास्थ्य बीमा में पोर्टेबिलिटी के बाद अब सरकार बचत खाता रखने वाले ग्राहकों को बैंक बदलने की सुविधा देने पर विचार कर रही है। इसके तहत बिना खाता संख्या [अकाउंट नंबर] बदले ग्राहक अपना बैंक बदल सकेंगे। यह सुविधा कब शुरू होगी इसका समय अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन वित्त मंत्रालय बैंक ग्राहकों को यह सुविधा देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा सचिव डीके मित्तल ने मंगलवार को बताया कि सरकार इसे करना चाहती है, लेकिन अभी कुछ तकनीकी दिक्कतें इसके रास्ते में आ रही हैं। इन्हें दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसा होते ही बैंक ग्राहकों के लिए खाता संख्या पोर्टेबिलिटी की सेवा शुरू की जाएगी। मित्तल वित्त मंत्रालय में हुई एक बैठक के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
बैंकिंग पोर्टेबिलिटी शुरू करने के लिए बैंकों को पहचान कोड, अपने ग्राहक को जानो [केवाईसी] और कोर बैंकिंग सोल्यूशंस का पूरी तरह पालन करना होगा। मित्तल ने बताया कि ऐसा होने के बाद ग्राहकों के लिए खाता बदलना आसान होगा, क्योंकि उन्हें फिर से केवाईसी नियमों के तहत अपनी पहचान संबंधी जानकारी नहीं देनी होगी।
पिछले साल ही सरकार ने मोबाइल फोन सेवा और स्वास्थ्य बीमा स्कीमों में पोर्टेबिलिटी की सुविधा शुरू की थी। मोबाइल फोन ग्राहक अब बिना अपना नंबर बदले ऑपरेटर बदल सकते हैं। इसी तरह स्वास्थ्य बीमा लेने वाले ग्राहक भी अपनी पॉलिसी की सभी सुविधाएं बरकरार रखते हुए कंपनी बदल सकते हैं।
बैंकों को स्वतंत्र बनाने के तहत रिजर्व बैंक ने पिछले साल अक्टूबर में बचत खाते पर ब्याज दर तय करने का अधिकार उन्हें सौंप दिया था। इसके बाद कुछ निजी बैंकों ने तो ब्याज दर सात प्रतिशत तक बढ़ा दी है। मित्तल ने बताया कि बैंकों को पूंजी सहायता देने की प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी। सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि बैंकों का पूंजी स्तर आठ प्रतिशत तक बनाए रखने के लिए वह वचनबद्ध है।

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