बड़ौत (बागपत)। बीटीसी फर्जीवाड़ा 2010 के संबंध में मेरठ ब्रांच के सीबीसीआइडी इंस्पेक्टर आरपी सिंह ने भी बुधवार को भी छानबीन कर साक्ष्य जुटाए। हालांकि दूसरे दिन भी डायट से अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं हो सके। सीबीसीआइडी की सरगर्मी से मामले से जुड़े अभ्यर्थियों में हड़कंप मचा रहा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश भर की डायटों पर पकड़े गए फर्जी प्रमाणपत्र धारकों की सीबीसीआइडी से जांच कराई जा रही है। बड़ौत डायट से इतर मवाना, मुजफ्फरनगर, हापुड़ सहित प्रदेश की कई डायटों से संबंधित सैकड़ों अभ्यर्थियों पर जांच की तलवार लटकी है। हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित तीन महीने की समय सीमा के मद्देनजर सीबीसीआइडी की कई टीमें गठित कर छानबीन कार्य युद्धस्तर पर है।
बड़ौत डायट से संबंधित 13 अभ्यर्थियों की जांच इंस्पेक्टर आरपी सिंह कर रहे हैं। गोपनीय रूप से जारी जांच में मंगलवार और बुधवार को संबंधित अभ्यर्थियों के घर-घर जाकर उनके ब्यान दर्ज किए गए। डायट पहुंचे इंस्पेक्टर आरपी सिंह को बुधवार को भी शैक्षिक प्रमाण पत्रों की प्रमाणित छायाप्रति प्राप्त नहीं हो सकी। जब उनसे केस के संबंध में बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने गोपनीयता का हवाला देते हुए कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
कई प्रदेशों से जुड़े हैं तार
इस फर्जीवाड़े के तार दूसरे प्रदेशों से भी जुड़े होने के कारण यह जांच सीबीआइ को सौंपे जा सकती है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इसकी संभावना भी जताई थी। कूटरचित शैक्षिक प्रमाणपत्र मध्य प्रदेश के भोपाल बोर्ड, दिल्ली के संस्कृत महाविद्यालयों, उत्तराखंड के महाविद्यालयों से बनवाए गए थे। प्रदेश में लखनऊ विवि, आगरा विवि, संपूर्णानंद संस्कृत विवि वाराणसी का काफी स्टाफ इस गड़बड़झाले में सीधे तौर पर जुड़ा है। इनमें संपूर्णानंद विवि के दो कर्मचारी तो फिलहाल जेल में बंद हैं।