बड़ौत (बागपत)। प्राथमिक विद्यालयों में होने वाली शिक्षकों की भर्ती को लेकर असमंजस बरकरार है। हाईकोर्ट ने जहां इसके विज्ञापन को अवैध ठहराते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, वहीं भर्ती के लिए अनिवार्य की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के परिणाम की शुचिता भी संदेह के घेरे में है। फिलहाल, सभी की नजरें इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक फरवरी को होने वाली सुनवाई पर हैं, जो शिक्षकों की भर्ती का भविष्य तय करेगी।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में होने वाली 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के आवेदनों की छंटनी, डाटा फीडिंग और मेरिट सूची बनाने का कार्य सभी डायटों पर द्रुत गति से जारी है। आवेदनों की अंतिम तिथि नौ जनवरी तक बड़ौत डायट पर कुल 29,852 फार्म पहुंचे। इतनी बड़ी संख्या में फार्मो का समायोजन अतिरिक्त स्टाफ की मदद से किया जा रहा है। कमोबेस यही स्थिति अन्य जनपदों की भी है। इस संबंध मेंशिक्षा निदेशक के मौखिक निर्देश हैं कि आवेदनों से संबंधित सभी औपचारिकताएं अगले आदेशों तक पूर्ण करनी सुनिश्चित की जाएं।
अभ्यर्थियों और शिक्षा विभाग के लिए जी का जंजाल बनी इस भर्ती के परवान चढ़ने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं। एक ओर जहां विभिन्न आपत्तियों के बीच टीईटी का परीक्षा परिणाम आठ बार संशोधित हो चुका है, वहीं टीईटी में उच्च अंक दिलाने के नाम पर प्रकाश में आई शिक्षा मफियाओं की संलिप्तता पूरी परीक्षा की शुचिता को कठघरे में खड़ा कर रही है। लोगों का मानना है कि अगर प्रक्रिया में अब तक उजागर हुई अनियमितताओं को कोर्ट संज्ञान में लेता है तो इसे निरस्त भी किया जा सकता है।
आवेदन के लिए मिल सकता है एक ओर मौका
गत 20 दिसंबर को शिक्षकों की भर्ती का संशोधित विज्ञापन एससीईआरटी ने जारी किया था। हाईकोर्ट ने इसे अवैध मानते हुए बेसिक शिक्षा सचिव को तलब किया। कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि एक फरवरी को होने वाली सुनवाई के बाद संशोधित भर्ती विज्ञापन जारी किया जाता है तो आवेदनों के लिए अंतिम तिथि भी बढ़नी तय है। ऐसे में डाक विभाग की लापरवाही से आवेदन करने से चूके अभ्यर्थियों को एक और मौका मिल जाएगा।