सोनभद्र : 'इस सावन
में शरारत भी सरेआम हुई, इनके घर को छोड़कर सारे शहर में बरसात हुई' वैसे
देशज कहावत भी है। 'छोड़अ सिआर भाई आशा, यह लटकत है बरह मासा' हम बात कर रहे
हैं उन बीएड बेरोजगारों के हालत की जिन्हें सपना दिखाया गया लेकिन बीच में ही अचानक आईने की तरह टूट भी गया।
इनके शिक्षक बनने का अरमान अब आंसुओं में ढल रहा है। विधानसभा सामान्य
निर्वाचन में न जाने कैसी सरकार आए और न जाने कैसा निर्णय ले। फिलहाल सोनांचल के
तकरीबन 10 हजार प्रशिक्षित स्नातक कभी नर्सरी स्कूलों में पांच सौ रुपए पर
तो कभी किसी वित्तविहीन विद्यालयों में प्रबंधक के हाथ की कठपुतली बनते आ
रहे हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम आया तो प्रदेश सरकार ने 72 हजार से अधिक
सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए हरी झंडी दिखा दी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दबाव में टीईटी अर्थात 'शिक्षक पात्रता परीक्षा' आयोजित की गई।
जनपद
के ढाई हजार प्रशिक्षित स्नातक प्रतियोगी परीक्षा में शामिल इनमें 40
प्रतिशत टीईटी उत्तीर्ण हो गए। एक सौ से लेकर 135 तक अंक लाने वाले तकरीबन
एक हजार अभ्यर्थी हैं। परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनने का सपना ज्यादा दूर नहीं लग रहा था। 25 दिसंबर 2011 तक सहायक शिक्षक पद पर नियुक्त हो जाना था। लेकिन बेरोजगारों के सपने टूट गए हैं।
समस्या की शुरूआत आंसर सीट के प्रकाशित होते ही हो गई थी। उत्तरों को लेकर
सवाल उठाए गए। कोर्ट कचहरी तक मामला गया। नियुक्ति की प्रक्रिया थम गई।
प्रक्रिया के रथ का पहिया ऐसे कानूनी लकड़पेंच के कीचड़ में फंसा है कि
निकाले से निकल ही नहीं रहा है। अब समस्या यह है कि जिस निष्पक्षता के कारण
आम मेधावी नौकरी पाने की उम्मीद लगाए बैठे थे अब निराश हैं। अब यदि
मेरिट पर नियुक्ति हुई तो नकल के लिए बदनाम जनपदों एवं अधिक नंबर देने
वाले एक विश्व विद्यालय के वहीं अभ्यर्थी फिर नौकरी पा जाएंगे जो अब तक
अपने मेरिट के आधार पर पाते आये हैं। टूटे सपने को संजोने की कोशिश में लगे
युवा इस बार चुनाव में ऐसे उम्मीदवार के पक्ष में ईवीएम की बटन दबाएंगे जो
इस बात का आश्वासन देगा कि शिक्षकों की नियुक्ति पारदर्शिता के आधार पर ही
होगी। सदर ब्लाक के बभनौली कला ग्राम पंचायत के मनीष पांडेय टीईटी परीक्षा में 132 अंक हासिल किए हैं। कहते हें उम्मीद थी कि वर्ष 2012 नए साल में बेरोजगार नहीं रहूंगा। लेकिन अब लगता है कुछ नहीं होगा। प्रवीण कुमार टीईटी में 125 अंक पाए हैं। कहते हैं कला वर्ग में शिक्षक बनने का सपना सच होने वाला था लेकिन नई सरकार आई तो फिर वहीं पुरानी पद्धति आएगी। जिसमें हम लोग फिर पिछड़ जाएंगे। प्रियंका श्रीवास्तव टीईटी में 135 अंक पाई हैं। महिला वर्ग में नौकरी पक्की थी। अब निराश हैं कहती हैं संस्कृत से इतने अधिक मेरिट लेकर छात्राएं आएंगी कि हम लोग छंट जाएंगी। शौकत अली टीईटी में 128 अंक लाकर अब हताश हैं। कहते हैं अब तो कोई उम्मीद नहीं लगती। विनायक यादव टीईटी में 110 अंक पाए हैं कहते हैं अब तो कोई आशा नहीं रह गई है। बड़ी आशा थी निराशा में बदल गई है। दरअसल सोनांचल में जब भी नियुक्ति होती है यहां के युवक छंट जाते हैं। कभी घूस के कारण तो कभी भाई भतीजा वाद के कारण। अमित कुमार, अंकुर मिश्र, राजेश, जितेंद्र व अरविंद कहते है जनपद में उतने ही अभ्यर्थी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास किए हैं जितने यहां पर रिक्त है। सोनभद्र में कुल 1250 सहायक अध्यापकों के पद रिक्त हैं। इसके लिए टीईटी परीक्षा पास अभ्यर्थी ही आवेदन किए हुए हैं। सभी प्रदेशों में आवेदन करने की छूट के अव्यवहारिक निर्णय का ही नतीजा है कि जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान राबर्ट्सगंज में लगभग सवा लाख आवेदन पत्र आए हैं। अब सवाल यह है कि आखिर आवेदनों का क्या होगा। क्या यह भी उसी राह पर चल रहा है। जो लेखपाल प्रवेश परीक्षा का हुआ था।