इस संबंध में जल्द हो सकता है निर्णय
लखनऊ। टीईटी में हुई धांधली की उच्च स्तरीय जांच कराने की सिफारिश की गई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री को भेजी दो पन्ने की रिपोर्ट में कहा है कि इस प्रकरण में रमाबाई नगर पुलिस से जांच रिपोर्ट को प्राप्त कर अनियमितताओं की शासन स्तर से जांच करा ली जाए। इन पहलुओं पर भी विचार किया जाना चाहिए कि टीईटी पास अभ्यर्थी हाईकोर्ट जा सकते हैं। ऐसे में तमाम विधिक बाधाओं का भी सामना करने से इनकार नहीं किया जा सकता। बेसिक शिक्षा विभाग की इस रिपोर्ट के आधार पर पंचम तल पर मंथन चल रहा है। बताया जाता है, इस संबंध में शीघ्र निर्णय कर लिया जाएगा।
टीईटी अभ्यर्थियों के हंगामे और लाठी चार्ज के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले पर माध्यमिक शिक्षा और बेसिक शिक्षा विभाग से पूरी रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में टीईटी के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने कक्षा 8 तक के स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी करते हुए टीईटी अनिवार्य कर दिया है। शासन स्तर पर माध्यमिक शिक्षा परिषद को टीईटी कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया, कि तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बोर्ड परीक्षा के चलते परीक्षा कराने से इनकार दिया था।
इसके बाद फिर बेसिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री के बीच हुई वार्ता के आधार पर माध्यमिक शिक्षा परिषद 13 नवंबर को टीईटी कराने पर राजी हो गया। इसके पहले 9 नवंबर को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली में 12वां संशोधन करते हुए पात्रता के स्थान पर अर्हता कर दिया गया। इसमें तय किया गया कि टीईटी मेरिट के आधार पर ही शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। टीईटी रिजल्ट आने के कुछ दिनों बाद ही अनियमितता की शिकायतें सामने आई हैं। इसकी जांच शासन स्तर से करा ली जाए।
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