सहारनपुर : टीईटी की नई प्रक्रिया से बीएड डिग्रीधारक बाहर हो जाएंगे। अगली परीक्षा कब होगी? यह अभी तय नहीं है। बीएड को प्रक्रिया में शामिल करने की समय सीमा 31 दिसंबर 2011 निर्धारित की गई थी। हिचकोले खा रही मौजूदा प्रक्रिया का भविष्य नई सरकार तय करेगी।
राष्ट्रीय
अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में शिक्षक पदों
पर नियुक्ति के लिए टीईटी को अनिवार्य कर दिया गया है। तैयार गाइडलाइन में
प्रक्रिया को पात्रता की श्रेणी में शामिल किया गया है। प्रदेश में
तत्कालीन बसपा सरकार द्वारा पात्रता परीक्षा में बदलाव कर नियुक्ति का आधार
मेरिट कर दिया था। इसके अनुसार टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से जिला शिक्षा
एवं प्रशिक्षण संस्थानों में आवेदन पत्र मांगे गए। जिला शिक्षा एवं
प्रशिक्षण संस्थान पटनी में 800 पदों के सापेक्ष 1.15 लाख से अधिक आवेदन
पत्र पहुंचे हैं।
टीईटी
में हुए घोटाले के आरोप में निदेशक माध्यमिक शिक्षा संजय मोहन सहित एक
दर्जन लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। प्रक्रिया में विसंगति को लेकर
हाईकोर्ट में भी मामला विचाराधीन है। चयन प्रक्रिया के आधार में कोई बदलाव
होगा या नहीं। इसका फैसला नई सरकार पर निर्भर करेगा।
दूसरी ओर इसी के साथ अब अगली टीईटी प्रक्रिया को लेकर भी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। टीईटी की गाइडलाइन में बीएड डिग्रीधारकों को 31 दिसंबर 2011 तक ही प्रक्रिया में अर्ह माना गया था।
बताते चलें कि सीटीईटी की जनवरी में हुई परीक्षा में बीएड डिग्रीधारकों को
अर्हता की श्रेणी से बाहर किया जा चुका है। प्रदेश में अगली टीईटी कब होगी
यह अभी साफ नही है।
नियमावली के मुताबिक प्रदेश सरकार एक वर्ष में तीन बार टीईटी परीक्षा करा
सकती है। सूत्रों का कहना है कि राज्यों को मार्च 2015 तक टीईटी नियमावली
को शिथिल करने की छूट हासिल है ऐसा शिक्षकों के रिक्त पदों को शीघ्रता से
भरने के लिए किया जा सकता है।
जिला
शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पटनी के प्राचार्य संजय उपाध्याय का कहना है
कि टीईटी प्रक्रिया के संबंध में अभी तक उन्हें कोई निर्देश नहीं मिले
हैं।
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