जयपुर.
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती
को आरपीएससी से कराने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ उसके ही मंत्री और
कांग्रेस विधायकों ने भी मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी सदस्यों ने भी भाजपा
विधायक दल के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी की अगुवाई में इस मांग को उठाया।
सूरजगढ़ से कांग्रेस विधायक श्रवण कुमार ने इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को
विधानसभा में अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा, आयोजना (श्रमशक्ति) राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सदन में खड़े होकर शिक्षक भर्ती की परीक्षा आरपीएससी के मार्फत कराने तथा एक ही मेरिट बनाने की मांग कर दी। राजेंद्र गुढ़ा ने तो यहां तक कह दिया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्षेत्र के किसी विधायक के फिर से जीतकर आने की संभावना नहीं रहेगी।
प्रश्नकाल की समाप्ति से ठीक पहले और शून्यकाल की शुरुआत में हुए इस मुद्दे पर हंगामे में सदन के सदस्य दलगत व्यवस्था से अलग हटकर क्षेत्र के अनुसार बंटे नजर आए। कांग्रेस के प्रकाश चौधरी, शालेह मोहम्मद, भाजपा के बाबूसिंह राठौड़ और पुष्पेंद्र सिंह राणावत ने जिला परिषदों से ही परीक्षा कराने पर जोर दिया।
भाजपा विधायकों ने आसन के सामने दिया धरना
शून्यकाल में घनश्याम तिवाड़ी के शिक्षक भर्ती की परीक्षा आरपीएससी से ही कराने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जिला परिषदों से भर्ती कराने पर भ्रष्टाचार की आशंका रहेगी। तिवाड़ी ने अपनी बात पूरी करने पर मंत्री से जवाब देने की मांग की। इस पर खंडेला विधायक बंशीधर खंडेला सबसे पहले वेल में पहुंचे।
उनके साथ आए वासुदेव देवनानी और फूलचंद भिंडा आसन के सामने धरने पर बैठ गए। उनके बाद वासुदेव देवनानी, फूलचंद भिंडा, सुंदरलाल, कालीचरण सराफ सहित कई विधायक वेल में आ गए और मंत्री से घोषणा कराने की मांग करने लगे। सादुलपुर विधायक कमला कस्वां, रतनगढ़ विधायक राजकुमार रिणवां, पिलानी विधायक सुंदरलाल ने भी इन विधायकों का समर्थन किया।
धारीवाल ने रोकने का प्रयास किया
प्रश्नकाल समाप्ति से ठीक पहले विधायक श्रवण कुमार ने अपना इस्तीफा लहराया, पढ़ा और अध्यक्ष को सौंप दिया। जब वे इस्तीफा सौंपने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं रुके।
शिक्षा पर न हो राजनीति
इस्तीफे के बाद विधायक श्रवण कुमार ने सदन के बाहर बातचीत में कहा कि शिक्षा पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कई विधायक व मंत्री भर्ती आरपीएससी से करवाना चाहते हैं। इन विधायकों व मंत्रियों के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री से बातचीत करेंगे।
यदि उन्होंने मांग नहीं मानी तो दिल्ली तक जाएंगे। लोगों ने बच्चों को बीएड व टेट कराया है। यदि वे भर्ती से वंचित रहते हैं और कानून में खामी है तो विधायकों को उसे ठीक करना चाहिए।
अब क्या होगा इस्तीफे का
विधायक को अपना इस्तीफा अध्यक्ष को देना होता है। यह अध्यक्ष का विवेकाधिकार होता है कि वे इस्तीफा स्वीकार करते हैं या नहीं। श्रवण कुमार के इस्तीफे पर अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि वे इसका परीक्षण करवाएंगे, इसके बाद कोई फैसला करेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष ने लौटाए सेलफोन
विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार शाम सभी 41 विधायकों के सेल फोन वापस करने की व्यवस्था दे दी। ये सेलफोन सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान कॉल डिटेल के आधार पर आरोपी बनाने के विरोध में एक निर्दलीय और 40 भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष की टेबल पर रखे थे। अध्यक्ष ने इन्हें सदन की प्रोपर्टी बताकर जब्त कर लिया था।मंगलवार को कई विधायकों ने अध्यक्ष से सेल फोन लौटाने का आग्रह किया था। इसके बाद अध्यक्ष ने सेलफोन लौटाने की व्यवस्था दी।
चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा, आयोजना (श्रमशक्ति) राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सदन में खड़े होकर शिक्षक भर्ती की परीक्षा आरपीएससी के मार्फत कराने तथा एक ही मेरिट बनाने की मांग कर दी। राजेंद्र गुढ़ा ने तो यहां तक कह दिया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्षेत्र के किसी विधायक के फिर से जीतकर आने की संभावना नहीं रहेगी।
प्रश्नकाल की समाप्ति से ठीक पहले और शून्यकाल की शुरुआत में हुए इस मुद्दे पर हंगामे में सदन के सदस्य दलगत व्यवस्था से अलग हटकर क्षेत्र के अनुसार बंटे नजर आए। कांग्रेस के प्रकाश चौधरी, शालेह मोहम्मद, भाजपा के बाबूसिंह राठौड़ और पुष्पेंद्र सिंह राणावत ने जिला परिषदों से ही परीक्षा कराने पर जोर दिया।
भाजपा विधायकों ने आसन के सामने दिया धरना
शून्यकाल में घनश्याम तिवाड़ी के शिक्षक भर्ती की परीक्षा आरपीएससी से ही कराने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जिला परिषदों से भर्ती कराने पर भ्रष्टाचार की आशंका रहेगी। तिवाड़ी ने अपनी बात पूरी करने पर मंत्री से जवाब देने की मांग की। इस पर खंडेला विधायक बंशीधर खंडेला सबसे पहले वेल में पहुंचे।
उनके साथ आए वासुदेव देवनानी और फूलचंद भिंडा आसन के सामने धरने पर बैठ गए। उनके बाद वासुदेव देवनानी, फूलचंद भिंडा, सुंदरलाल, कालीचरण सराफ सहित कई विधायक वेल में आ गए और मंत्री से घोषणा कराने की मांग करने लगे। सादुलपुर विधायक कमला कस्वां, रतनगढ़ विधायक राजकुमार रिणवां, पिलानी विधायक सुंदरलाल ने भी इन विधायकों का समर्थन किया।
धारीवाल ने रोकने का प्रयास किया
प्रश्नकाल समाप्ति से ठीक पहले विधायक श्रवण कुमार ने अपना इस्तीफा लहराया, पढ़ा और अध्यक्ष को सौंप दिया। जब वे इस्तीफा सौंपने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं रुके।
शिक्षा पर न हो राजनीति
इस्तीफे के बाद विधायक श्रवण कुमार ने सदन के बाहर बातचीत में कहा कि शिक्षा पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कई विधायक व मंत्री भर्ती आरपीएससी से करवाना चाहते हैं। इन विधायकों व मंत्रियों के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री से बातचीत करेंगे।
यदि उन्होंने मांग नहीं मानी तो दिल्ली तक जाएंगे। लोगों ने बच्चों को बीएड व टेट कराया है। यदि वे भर्ती से वंचित रहते हैं और कानून में खामी है तो विधायकों को उसे ठीक करना चाहिए।
अब क्या होगा इस्तीफे का
विधायक को अपना इस्तीफा अध्यक्ष को देना होता है। यह अध्यक्ष का विवेकाधिकार होता है कि वे इस्तीफा स्वीकार करते हैं या नहीं। श्रवण कुमार के इस्तीफे पर अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि वे इसका परीक्षण करवाएंगे, इसके बाद कोई फैसला करेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष ने लौटाए सेलफोन
विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार शाम सभी 41 विधायकों के सेल फोन वापस करने की व्यवस्था दे दी। ये सेलफोन सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान कॉल डिटेल के आधार पर आरोपी बनाने के विरोध में एक निर्दलीय और 40 भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष की टेबल पर रखे थे। अध्यक्ष ने इन्हें सदन की प्रोपर्टी बताकर जब्त कर लिया था।मंगलवार को कई विधायकों ने अध्यक्ष से सेल फोन लौटाने का आग्रह किया था। इसके बाद अध्यक्ष ने सेलफोन लौटाने की व्यवस्था दी।
No comments:
Post a Comment