12 April 2012

Latest ARTICLE : शिक्षक भर्ती की नई प्रकिया के प्रति उभरता असंतोष ! – डॉ. भरत मिश्र प्राची

शिक्षक भर्ती की नई प्रकिया के प्रति उभरता असंतोष ! – डॉ. भरत मिश्र प्राची

राजस्थान प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर जिला परिषद के माध्यम से भर्ती कराने के सरकारी निर्णय के विरुद्ध में प्रदेश का बेरोजगार युवा वर्ग सड़क पर उतर आया है। जिला परिषद द्वारा भर्ती प्रक्रिया पर निष्पक्षता को लेकर उसके मन में कहीं न कहीं संदेह जरूर समाया है तभी वह इस भर्ती प्रक्रिया को राजस्थान लोक सेवा आयोग अर्थत आरपीएससी से कराने की मांग कर रहा है। इस तरह की मांग के पीछे जिला परिषद द्वारा आयोजित परीक्षा में अविश्वसनीयता का उभरता प्रश्न साफ – साफ नजर आ रहा है जहां उसे जिला परिषद की व्यवस्था प्रणाली पर विश्वास नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि जिला परिषद पर जन नेताओं का वर्चस्व सीधे तौर पर है, जहां वे अपने प्रभाव से अपने चहेतों को भर्ती कराने में सफल हो जायेंगे। जहां भर्ती प्रक्रिया में  लेनदेन का व्यापार भी तेजी से चलेगा, जिसे रोक पाना किसी के बुते की बात नहीं। इस तरह की व्यवस्था में राजनीति भी समा जाती है जो निष्पक्षता के मार्ग में अवरोध बनती है।  आयोग द्वारा संचालित व्यवस्था में इस तरह के परिवेश की कम गुंजाईश रहती है। इसी कारण आजकल आयोग द्वारा ली गई परीक्षा के बाद साक्षातकार प्रक्रिया को भी धीरे – धीरे हटाकर परीक्षा में आये अंक की बरिष्ठ सूची के आधार पर ही भर्ती की जा रही है। इस तरह की व्यवस्था प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाये जाने की दिशा में सकरात्मक कदम माना जा रहा है। जहां योग्यता को कुठित नहीं होना पडे 
वर्तमान समय में राज्य में जो भी भर्ती परीक्षा हो रही है सभी के सभी आयोग के माध्यम से ही हो रही है। जब से आयोग द्वारा परीक्षा आयोजन की प्रक्रिया शुरु हुई है तब से शिक्षक भर्ती परीक्षा भी इसी माध्यम से आज तक होती रही है। पूर्व में जब भी भर्ती प्रक्रिया जिला परिषद, ब्लाक एवं  पंचायत  स्तर पर होती रही है विवादाग्रस्त रही है। चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर तब भी सवाल उठते रहे है पर उस समय जागरूकता की कमी एवं रोजगार की पंक्ति में बेरोजगारों की आज जैसी भीड़ नहीं होने के कारण विवाद होते हुए भी विरोधी स्वर दब जाते रहे है।
विधान सभा सत्र के दौरान तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को जिला परिषद द्वारा न कराये जाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है । पक्ष – विपक्ष के विधायक  सरकार से जहां इस व्यवस्था पर अपना विरोध जताते हुए आयोग से परीक्षा कराने की मांग कर रहे है वहीं कुछ विधायक सरकार की इस व्यवस्था को सही ठहराने की भी वकालत कर रहे है। इस तरह के परिवेश निश्चित तौर पर सही निर्णय लेने की तटस्त भूमिका में बाधा बन सकते है। आज जरूरत है निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर इस तरह के ठोस कदम उठाने की,  जिससे भर्ती संबंधित हर प्रक्रिया निष्पक्ष हो सके एवं योग्यता को उचित सम्मान मिल सके।
भर्ती परीक्षा के मुख्यतः दो आयाम लिखित एवं मौखिक ( साक्षातकार ) यहां निर्धारित है। लिखित में बनी मेरिट लिस्ट के आधार पर आवश्यक पदो के अनुपात में साक्षातकार में बुलाये जाने की प्रक्रिया रही है। साक्षात्कार प्रक्रिया पर जब उंगलियां उठने लगी तो मेरिट लिस्ट में आने में  को ही अंतिम रूप मानकर नियुक्ति देने की भी व्यवस्था शुरू कर दी गई है। कुछ दांव पेंच खेल लिखित में भी मेरिअ में आने की कोशिश करते रहे है पर साक्षात्कार की तरह आसान नही होता। आयोग का स्वरूप पूरे राज्य में एक जैसा है जहां लिखित परीक्षा में राजनीतिक पहल का वर्चस्व काम करना संव नहीं है पर जिला परिषद स्तर पर राजनीतिक पहल का परिवेश आसानी से उजागर हो सकता है जिससे परीक्षा में निष्पक्षता के प्रति अविश्वास उभरना स्वाभाविक है। यहीं कारण हे कि आयोग के बजाय जिला परिषद से तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती कराने की प्रक्रिया का विरोध हो रहा है। सरकार जब सभी तरह की परीक्षा आयोग के माध्यम से ही करा रही है तो इस परीक्षा को भी आयोग द्वारा ही कराये जाने की व्यवस्था अमल में लानी चाहिए जिससे परीक्षा प्रक्रिया में विश्वसनीयता बनी रह सके। इस तरह की नई प्रक्रिया नहीं लानी चाहिए जिससे युवा वर्ग में असंतोष उभर सके।

डॉ. भरत मिश्र प्राची

- स्वतंत्र पत्रकार, डी – 9 , सेक्टर – 3ए ,खेतड़ी नगर – 333504 राजस्थान.
Email:-prachi120753@gmail.com
Article Published in pravasiduniya.com

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