प्रवासी भारतीय सम्मेलन : सरकारी व्यवस्था से त्रस्त प्रवासियों ने जमकर किए प्रहार, कार्यप्रणाली पर भी उठाए सवाल
जयपुर। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में रविवार को हुए पार्टनरिंग इन प्रोसपेरिटी सत्र में सरकारी व्यवस्था में हावी भ्रष्टाचार और ब्यूरोक्रेसी के लचर रवैये पर प्रवासी भारतीयों ने जमकर प्रहार किए। सवाल जवाब सत्र में सरकारी व्यवस्था से त्रस्त कई प्रवासियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए ब्यूरोक्रेसी की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। प्रवासियों ने सवाल उठाया कि यहां सामाजिक क्षेत्र में काम करने आएं या निवेश करने के लिए ब्यूरोक्रेसी का लचर रवैया इतना परेशान कर देता है कि एनआरआई हारकर अपना इरादा ही बदल देता है और वह निवेश के लिए दूसरे देशों का रुख कर लेता है।
आम आदमी भ्रष्टाचार से त्रस्त :राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फोर कंटेंपरेरी स्टडीज के निदेशक जी. मोहन गोपाल ने पार्टनरिंग फोर प्रोसपेरिटी सत्र में कहा कि भारत में कई स्तरों पर सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। सरकारों की मानसिकता और कार्यप्रणाली में बदलाव लाना होगा उन्हें उनकी नीतियों के साथ काम की दिशा और जवाबदेही लानी होगी।
आज आम आदमी भ्रष्टाचार से त्रस्त है। आज भी सरकारों की नजर में आम आदमी से जुड़े मुद्दों के समाधान में औपनिवेशिक मानसिकता हावी है। भ्रष्टाचार से मुकाबले के लिए लोकपाल बिल के रूप में प्रभावी कदम उठाया जा रहा था लेकिन वह राजनीतिक कारणों से अटक गया। आर्थिक और वित्तीय नीतियों, टैक्स और विदेशी विनिवेश नीतियों और सरकारों में सुधार करना होगा। इन सुधारों में प्रवासी भारतीय भागीदार बनें।
उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार के साथ आज भी लिंग, जाति, भाषा के आधार पर भेदभाव जारी है। यह भेदभाव खत्म होना चाहिए। शिक्षा में अफसरशाही और रूढि़वादिता हावी है। देश में शिक्षा आज रूढि़वादी और अवांछित लोगों के हाथों में है। आप पाठ्यक्रम में बिना सरकारों और विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना एक लेख तक शामिल नहीं कर सकते।
आधुनिक भारत के तीन निर्माता प्रवासी थे : उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत के तीन निर्माता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और भीमराव अंबेडकर प्रवासी थे। आज फिर से प्रवासियों को उसी तरह सुधार में भूमिका अदा करनी होगी जिस तरह उस समय इन तीन बड़े निर्माताओं ने निभाई थी।
इस तरह जताया प्रवासियों ने आक्रोश :पार्टनरिंग इन प्रोसपेरिटी सत्र में पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर, प्रो. जी मोहन गोपाल, एसबीआई के नेशनल बैंकिंग के एमडी ए कृष्ण कुमार, सिंगापुर के एंबेसडर एट लार्ज गोपीनाथ पिल्लई, मलेशिया के भारत में विशेष दूत दातो एस. सेमी वेलू के भाषणों के बाद करीब 25 मिनट का सवाल जवाब सत्र हुआ।
भारत में रसूखदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? : सवाल जवाब सत्र में अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीय डॉ. पटेल ने शशि थरूर और मंच से सवाल किया कि भारत में बड़े आदमी कानून से बच जाते हैं। यहां प्रभावशाली लोग कानून से बच जाते हैं। अमेरिका में बिल क्लिंटन को आरोप लगने के बाद सर्वोच्च अदालत तक जाना पड़ा। यहां भारत में रसूख वाले लोगों और आम आदमी पर कार्रवाई का फर्क कब खत्म होगा?।
एनआरआई मतलब नो रिक्वायर्ड इन इंडिया : अमेरिका के उद्यमी आनंद ने सरकारी व्यवस्थाओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकारों के पास प्रवासियों के लिए विशेषज्ञ सलाह नहीं है। सरकारों की व्यवस्था से आज यह धारणा बन गई है कि भारत में एनआरआई का मतलब नो रिक्वायर्ड इन इंडिया है।
अफसर समझते हैं जैसे हम कोई विदेशी हैं और लूटकर भागना चाहते हैं:अमेरिका में रह रहे जयपुर निवासी सॉफ्टवेयर डवलपर संजय कानूनगो ने कहा कि दिल्ली में बैठे अफसरों का रवैया अजीब है। हर साल यहां आयोजन के नाम पर सर्कस लगा रहे हैं, लेकिन इनकी कोई ग्लोबल सोच नहीं है। निवेश या किसी क्षेत्र में काम करने के लिए एनआरआई सरकारी दफ्तर में जाता है तो अफसरों का रवैया ऐसा होता है जैसे हम कोई लूटेरे हैं और यहां से लूटकर विदेश भागना चाहते हैं।
हमारी ब्यूरोक्रेसी सबसे गैर जवाबदेह :सत्र के सवाल जवाब सत्र में प्रवासी भारतीयों के सवालों का जवाब देते हुए प्रो. जी गोपाल मोहन ने कहा कि हमारी ब्यूरोक्रेसी सबसे गैर जवाबदेह है। जनता की शिकायतों को सुनने का यहां कोई प्रावधान नहीं है। अफसरशाही का रवैया ठीक नहीं है, इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
जयपुर। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में रविवार को हुए पार्टनरिंग इन प्रोसपेरिटी सत्र में सरकारी व्यवस्था में हावी भ्रष्टाचार और ब्यूरोक्रेसी के लचर रवैये पर प्रवासी भारतीयों ने जमकर प्रहार किए। सवाल जवाब सत्र में सरकारी व्यवस्था से त्रस्त कई प्रवासियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए ब्यूरोक्रेसी की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। प्रवासियों ने सवाल उठाया कि यहां सामाजिक क्षेत्र में काम करने आएं या निवेश करने के लिए ब्यूरोक्रेसी का लचर रवैया इतना परेशान कर देता है कि एनआरआई हारकर अपना इरादा ही बदल देता है और वह निवेश के लिए दूसरे देशों का रुख कर लेता है।
आम आदमी भ्रष्टाचार से त्रस्त :राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फोर कंटेंपरेरी स्टडीज के निदेशक जी. मोहन गोपाल ने पार्टनरिंग फोर प्रोसपेरिटी सत्र में कहा कि भारत में कई स्तरों पर सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। सरकारों की मानसिकता और कार्यप्रणाली में बदलाव लाना होगा उन्हें उनकी नीतियों के साथ काम की दिशा और जवाबदेही लानी होगी।
आज आम आदमी भ्रष्टाचार से त्रस्त है। आज भी सरकारों की नजर में आम आदमी से जुड़े मुद्दों के समाधान में औपनिवेशिक मानसिकता हावी है। भ्रष्टाचार से मुकाबले के लिए लोकपाल बिल के रूप में प्रभावी कदम उठाया जा रहा था लेकिन वह राजनीतिक कारणों से अटक गया। आर्थिक और वित्तीय नीतियों, टैक्स और विदेशी विनिवेश नीतियों और सरकारों में सुधार करना होगा। इन सुधारों में प्रवासी भारतीय भागीदार बनें।
उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार के साथ आज भी लिंग, जाति, भाषा के आधार पर भेदभाव जारी है। यह भेदभाव खत्म होना चाहिए। शिक्षा में अफसरशाही और रूढि़वादिता हावी है। देश में शिक्षा आज रूढि़वादी और अवांछित लोगों के हाथों में है। आप पाठ्यक्रम में बिना सरकारों और विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना एक लेख तक शामिल नहीं कर सकते।
आधुनिक भारत के तीन निर्माता प्रवासी थे : उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत के तीन निर्माता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और भीमराव अंबेडकर प्रवासी थे। आज फिर से प्रवासियों को उसी तरह सुधार में भूमिका अदा करनी होगी जिस तरह उस समय इन तीन बड़े निर्माताओं ने निभाई थी।
इस तरह जताया प्रवासियों ने आक्रोश :पार्टनरिंग इन प्रोसपेरिटी सत्र में पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर, प्रो. जी मोहन गोपाल, एसबीआई के नेशनल बैंकिंग के एमडी ए कृष्ण कुमार, सिंगापुर के एंबेसडर एट लार्ज गोपीनाथ पिल्लई, मलेशिया के भारत में विशेष दूत दातो एस. सेमी वेलू के भाषणों के बाद करीब 25 मिनट का सवाल जवाब सत्र हुआ।
भारत में रसूखदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? : सवाल जवाब सत्र में अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीय डॉ. पटेल ने शशि थरूर और मंच से सवाल किया कि भारत में बड़े आदमी कानून से बच जाते हैं। यहां प्रभावशाली लोग कानून से बच जाते हैं। अमेरिका में बिल क्लिंटन को आरोप लगने के बाद सर्वोच्च अदालत तक जाना पड़ा। यहां भारत में रसूख वाले लोगों और आम आदमी पर कार्रवाई का फर्क कब खत्म होगा?।
एनआरआई मतलब नो रिक्वायर्ड इन इंडिया : अमेरिका के उद्यमी आनंद ने सरकारी व्यवस्थाओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकारों के पास प्रवासियों के लिए विशेषज्ञ सलाह नहीं है। सरकारों की व्यवस्था से आज यह धारणा बन गई है कि भारत में एनआरआई का मतलब नो रिक्वायर्ड इन इंडिया है।
अफसर समझते हैं जैसे हम कोई विदेशी हैं और लूटकर भागना चाहते हैं:अमेरिका में रह रहे जयपुर निवासी सॉफ्टवेयर डवलपर संजय कानूनगो ने कहा कि दिल्ली में बैठे अफसरों का रवैया अजीब है। हर साल यहां आयोजन के नाम पर सर्कस लगा रहे हैं, लेकिन इनकी कोई ग्लोबल सोच नहीं है। निवेश या किसी क्षेत्र में काम करने के लिए एनआरआई सरकारी दफ्तर में जाता है तो अफसरों का रवैया ऐसा होता है जैसे हम कोई लूटेरे हैं और यहां से लूटकर विदेश भागना चाहते हैं।
हमारी ब्यूरोक्रेसी सबसे गैर जवाबदेह :सत्र के सवाल जवाब सत्र में प्रवासी भारतीयों के सवालों का जवाब देते हुए प्रो. जी गोपाल मोहन ने कहा कि हमारी ब्यूरोक्रेसी सबसे गैर जवाबदेह है। जनता की शिकायतों को सुनने का यहां कोई प्रावधान नहीं है। अफसरशाही का रवैया ठीक नहीं है, इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।