इलाहाबाद : लोक
सेवा आयोग ने गलत प्रश्नों के एवज में अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले
अंकों के बंटवारे के फार्मूले को अब नियमावली में शामिल कर लिया है।
शुक्रवार को हुई आयोग की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। हालांकि पूर्व से ही लागू इस फार्मूले में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। आयोग के इस फैसले के बाद अभ्यर्थी अब सूचना के अधिकार के तहत गलत प्रश्नों की जानकारी ले सकेंगे।
मान
लीजिए लोक सेवा अयोग का कोई प्रश्न पत्र 200 अंकों का है। इसमें से एक
प्रश्न गलत आ जाता है, तो आयोग इसकी गणना यूं करता है। आयोग 200 अंकों में
सही प्रश्नों का भाग देता है और भागफल में अभ्यर्थी जितना प्रश्न सही
किया है उतने का गुणा कर देता है। ऐसे में अभ्यर्थी के परीक्षाफल में
ज्यादा अंतर नहीं आता है। अभ्यर्थियों में आयोग द्वारा गलत प्रश्नों की एवज
में किए जाने वाले अंक विभाजन को लेकर काफी भ्रम था। अभ्यर्थियों का
मानना था कि आयोग गलत प्रश्नों के एवज में सभी अभ्यर्थियों को समान रूप से
दो अंक दे देता है। इस भ्रम के कारण अभ्यर्थी मान रहे थे कि इसका असर
परीक्षा परिणाम पर पड़ता है। अब यह भ्रम दूर हो गया है। दरअसल, लोक सेवा अयोग की पीसीएस 2010 व 2011 की प्रारंभिक परीक्षा में कई प्रश्न गलत पूछे गए थे।
इसके
बाद अभ्यर्थी गलत प्रश्नों को लेकर हाईकोर्ट की शरण में चले गए। हाईकोर्ट
ने आयोग से गलत प्रश्नों के एवज में अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले अंक
विभाजन के फार्मूले की जो जानकारी मांगी तो आयोग ने यही फार्मूला बताया।
हाईकोर्ट ने इस फार्मूले की तारीफ तो की पर आयोग से इसे नियमावली में शामिल
करने को भी कहा। अभी तक यह फार्मूला आयोग की नियमावली में शामिल नहीं था,
जिसे शुक्रवार को नियमावली में शामिल कर लिया गया।
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