इलाहाबाद : शिक्षक
पात्रता परीक्षा (टीईटी) में गड़बड़ी के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक
की गिरफ्तारी के बाद अनियमितता की परतें उधड़नी शुरू हो गई हैं। माध्यमिक
शिक्षा विभाग से जुड़े कुछ जिम्मेदार बाबुओं का दावा है कि परीक्षा से ठीक
पहले कम्प्यूटर जांच एजेंसी बदल दी गई और उसके लिए किसी को भरोसे में नहीं
लिया गया। एजेंसी एक अधिकारी के रिश्तेदार की है। परीक्षा में बड़ी गड़बड़ी वहीं से हुई। बाबुओं
का दावा है कि एजेंसी को दिए गए ओएमआर की प्रति से मिलान के बाद टीईटी से
जुड़े कई कर्मचारियों ने अधिकारियों को सचेत किया था। बाबुओं की माने तो
निदेशक के अलावा कई अफसरों को इसकी जानकारी थी।
बात
केवल दावों तक नहीं है। सूत्रों की माने तो कुछ बाबुओं ने जांच टीम के
सामने कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कुछ बाबुओं ने तो यहां तक
दावा किया है कि ओएमआर
की प्रतियों में गड़बड़ी देखने के बाद विभाग के सात कर्मचारियों ने खुद को
काम से अलग कर लिया था और जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी लिखित जानकारी भी
दी थी। सूत्रों
के मुताबिक बाबुओं ने जांच दल को बताया कि पहले गुड़गांव की एक एजेंसी से
जांच कराने का निर्णय लिया गया था लेकिन ऐन मौके पर बिना किसी को बताए
दूसरी एजेंसी को काम दे दिया गया। लोगों को लगा यह गोपनीयता के तहत है
लेकिन परीक्षा के हफ्ते भर बाद ही पता चल गया कि भारी गोलमाल किया गया है।
कानपुर में पकड़े गए आरोपियों में से कुछ ने लेनदेन में निदेशालय के इस
अधिकारी का भी नाम लिया है।
लखनऊ। राज्य सरकार ने बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश चंद्र कनौजिया से माध्यमिक शिक्षा परिषद निदेशक का अतिरिक्त चार्ज वापस ले लिया है। यह चार्ज उनसे तब वापस लिया गया, जब उनके ऊपर एक घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया। राज्य सरकार ने विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा सीपी तिवारी को माध्यमिक शिक्षा निदेशक का अतिरिक्त चार्ज दिया है।
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