वाराणसी : उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) शुरू से विवादों में घेरे
में रही। कभी फार्मो की किल्लत, तो कभी परिणाम को लेकर सवाल उठते रहे। अब
तो टीईटी की परीक्षा में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी ने
परीक्षा की पवित्रता ही तार-तार कर दी है। संजय मोहन दोषी हों, न हों यह
अलग बात है पर घटना तो यह संकेत तो दे ही रही है कि प्रदेश के बेरोजगार
युवा किस प्रकार छले जा रहे हैं। उनकी उम्मीदों व सपनों के साथ खिलवाड़ किया
गया। गिरफ्तारी के बाद टीईटी के अभ्यर्थियों ने दोबारा परीक्षा कराने की आवाज मुखर की है। साथ ही सीबीआइ जांच व दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
जागरण प्रतिनिधि से बातचीत में अभ्यर्थियों ने टीईटी प्रकरण पर बेवाक टिप्पणी की। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के साकेत शुक्ला टीईटी की पूरी परीक्षा निरस्त करने की मांग कर बैठे। कहा कि गत 25 नवंबर को आनन-फानन में परिणाम घोषित किया गया। इसका सही जवाब नेट पर जारी हुआ तो कई सवालों के उत्तर गलत थे। स्पष्ट है कि आयोजक संस्था को भी सवालों का सही उत्तर नहीं मालूम। ऐसे में योग्य उम्मीदवारों के साथ खिलवाड़ होना तय था। विद्यापीठ के आलोक कुमार सिंह ने टीईटी को मजाक की संज्ञा तक दे डाली और कहा कि बेरोजगारों को छला गया है। ऐसे में इस परीक्षा को निरस्त कर दोबारा परीक्षा कराना ही बेहतर होगा। रमरेपुर की अंकिता चतुर्वेदी कहती हैं कि टीईटी में धांधली की गई है। परीक्षा की सुचिता की राग अलापने वालों को युवा बेरोजगारों की योग्यता से ज्यादा धन लूटने से ही सरोकार है।
परीक्षा में पास कराने के लिए 9694900 रुपये की बरामदगी की बात मीडिया में भी आ चुकी है। ऐसे में गरीब व योग्य अभ्यर्थियों का चयन तो नामुमकिन ही लगता है। इस परीक्षा को निरस्त कर पुन: परीक्षा कराना ही उचित होगा। नाटी इमली की श्रीमती रश्मि पाठक कहती हैं कि पहले टीईटी परीक्षा में हाईस्कूल, इंटर, स्नातक व बीएड को आधार बनाने की बात कही गई। बाद में टीईटी परीक्षा के प्राप्तांक को आधार बनाया गया। इसके पीछे धांधली की मंशा ही रही है जो अब उजागर हो चुकी है। संस्कृत विश्वविद्यालय के सचीव कुमार मिश्र का कहना है कि टीईटी की परीक्षा का फार्म भोर में लाइन लगाने के बाद देर शाम मिला। चार स्थानों से फार्म भरने में लगभग तीन हजार रुपये खर्च हो गए। अब परीक्षा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। कहते हैं कि परीक्षा दोबारा कराई जाए और दोबारा परीक्षा फार्म भरने के लिए कोई शुल्क न वसूला जाए।
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