इलाहाबाद : टीईटी
उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती को लेकर दाखिल याचिका
पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी। इस मामले पर सुनवाई के लिए अब दूसरी
तिथि नियत की जाएगी। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों की भर्ती
के लिए जारी विज्ञापन पर रोक लगा रखी
जिम्मेदारी दिलाने वालों ने काटी कन्नी
लखनऊ।
टीईटी पास कराने के आरोप में हुई संजय मोहन की गिरफ्तारी के पीछे कई राज
हैं। बसपा सरकार के खास समझे जाने वाले संजय मोहन की गिरफ्तारी किसी के गले
नहीं उतर रही है। शिक्षा विभाग के छोटे कर्मचारी से लेकर बड़ी अधिकारी तक
इसे हजम नहीं कर पा रहे हैं। विभागीय अधिकारी यही कह रहे हैं कि टीईटी पास
कराने और नंबर बढ़ाने का तो बहाना है। उनकी गिरफ्तारी के पीछे असली वजह कुछ
और ही है। अगर पीछे मुड़कर देखें तो संजय मोहन का वह बयान कि बाहर आने पर मुंह खोलूंगा, किसी बड़े राज की ओर इशारा कर रहा है।
शिक्षा
विभाग में मौजूदा समय निदेशक स्तर के दो ही अधिकारी हैं। संजय मोहन और
दिनेश चंद्र कनौजिया। विभाग में इन दोनों अफसरों का कोई जोड़ नहीं है। संजय
मोहन माध्यमिक और दिनेश चंद्र कनौजिया बेसिक शिक्षा के मास्टर माइंड हैं।
इसलिए पिछले 10 सालों से आई सरकारों ने इन अधिकारियों को विशेष रूप से तवज्जो दी।
आखिर किसने दिया था बचाने का आश्वासन
लखनऊ।
संजय मोहन को किसने आफिस में बैठकर काम करने का आश्वासन दिया है, अब यह
सवाल उनके घरवाले उनके शुभचिंतकों से पूछते नजर आ रहे हैं। बताया जाता है
कि त्वरित महिला साक्षरता संस्था के संचालक रामशंकर और राज्य संसाधन केंद्र
के सहायक निदेशक नरेंद्र प्रताप की गिरफ्तारी के बाद से ही संजय मोहन को
अपनी गिरफ्तारी का भय सताने लगा था। बताया जाता है कि वह पंचम तल से जुड़े इस अधिकारी के लगातार संपर्क में थे। मंगलवार को उन्होंने चुनिंदा जानने वालों से कहा कि अब सब ठीक है।
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